अवधभूमि

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ट्रांसफर पॉलिसी को ठेंगा:

8 वर्षों से मुख्यालय में जमे पुनीत मिश्रा की खुलेआम चुनौती, कहा- कोई मेरा ट्रांसफर करवा कर दिखाए:

लखनऊ।निदेशालय महिला कल्याण में वर्षों से तैनात योजना अधिकारियों का आखिर कब होगा तबादला
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे मह्त्वपूर्ण योजना को संचालित करने वाले महिला कल्याण विभाग में कुछ एक योजना अधिकारी 8 से 10 वर्षों से कुंडली मारकर जमे हुए हैं! शासन की स्थानांतरण नीति विगत वर्षों से कितनी बार आई और चली गई परंतु इनके कार्यकाल पर कोई भी बाल बांका नहीं हुआ ताजा उदाहरण यह है कि योजना अधिकारी श्री पुनीत मिश्रा जिनके विरुद्ध वित्तिय एवम प्रशासनिक संबंधी गंभीर प्रकृति की शिकायतें शासन में लंबित होने के बावजूद वित्त वर्ष 2015-16 से निदेशालय महिला कल्याण में तैनात होने के बावजूद आज तक इनका स्थानांतरण नहीं किया गया साथ ही महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि श्री पुनीत मिश्रा मुख्यालय में योजना अधिकारी के पद के साथ-साथ उपनिदेशक महिला कल्याण कानपुर मंडल का भी अतिरिक्त प्रभार विगत वर्षों से देख रहे हैं .उनके ही निदेशालय की कार्यकाल में उच्च न्यायालय लखनऊ खंडपीठ में विभिन्न वादों में सरकार की बहुत ही किरकिरी हुई है चाहे वह राजकीय संस्थाओ में बच्चों की खराब रहन-सहन की व्यवस्था हो, चाहे वह जनपद बरेली एवं सीतापुर आदि जनपदों में विडो पेंशन में हुई गड़बड़ियों के मामले में माननीय उच्च न्यायालय में हुई फजियतों का प्रकरण हो या फिर सेवानिवृत्ति कर्मचारियों को लंबित बकाया एरियर भुगतान संबंधित प्रकरणों में उच्च न्यायालय में सरकार की किरकिरी होने के बावजूद भी श्री मिश्र अपने पद पर विगत 8 वर्षों से ज्यादा समय से भी राजनीतिक रसूक एवं भ्रष्टाचार के बल पर अपने पद पर जमे हुए हैं इसी प्रकार से श्री आशुतोष सिंह का पद न होने के बावजूद विगत 8 वर्षों से, श्रीमती अनु सिंह निदेशालय महिला कल्याण में विगत 7 वर्षों से रहते हुए पदोन्नति के बावज़ूद भी एवम श्री शैलेंद्र यादव विगत 7 वर्षों से प्रोन्नति के बावजूद भी निदेशालय महिला कल्याण में स्थानांतरण नीति 2024 -25 के विरुद्ध अपने पदों पर जमे हुए हैं .इन योजना अधिकारियों का काकश इतना मजबूत है कि जब-जब इन्हें हटाने एवम कार्यवाहियों की सुगबुगाहट होती है तब- तब किसी न किसी नए चेहरों वाले कमजोर योजना अधिकारी के पद पर नवीन नाम प्रस्तावित करने का प्रयास निदेशालय महिला कल्याण से प्रस्तावित करने का प्रयास किया जाता है! अब देखना यह है कि नवीन स्थानांतरण नीति लागू होने के बावजूद विभागीय महिला कल्याण मंत्री के संरक्षण में क्या यह योजना अधिकारी जो की वर्षों से निदेशालय महिला कल्याण में स्थानांतरण नीति के विरुद्ध जमे हुए हैं ,जिनका की मंडल स्तर पर पद भी यथा वाराणसी, सहारनपुर, प्रयागराज ,कानपुर, अलीगढ़,महिला कल्याण निगम आदि में पद रिक्त होने के बावजूद इनकी तैनाती विभाग द्वारा महिला कल्याण के हितों के पक्ष में संचालित योजनाओं के कुशल क्रियान्वयन
हेतु फील्ड में किया जाएगा ?यह एक गंभीर यक्ष प्रश्न है!

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