लखनऊ। जैसे कि पहले ही आशंका व्यक्त की जा रही थी दीपावली पर पूरे उत्तर प्रदेश में शराब कारोबारी ने जमकर लूट मचाई। देसी और विदेशी मदिरा पर काम से कम ₹20 से लेकर ₹100 तक ओवर रेटिंग कराई गई।
ओवर रेटिंग के मामले में आगरा पहले नंबर पर
बताया जा रहा है कि सबसे ज्यादा ओवर रेटिंग आगरा जोन में हुई। यहां शराब माफिया के सामने आबकारी विभाग ने पूरी तरह समर्पण कर दिया था। जॉइंट राजेश मणि त्रिपाठी ने प्रवर्तन विभाग को जहां किसी तरह के कार्रवाई करने से रोका था वही जिले के सभी आबकारी अधिकारी सहायक आबकारी अधिकारी और इंस्पेक्टर भी शराब कारोबारी से बहुमूल्य उपहार लेकर घर बैठ गए। सेल्समेन धड़ल्ले से विभाग के अधिकारियों के नाम पर ग्राहकों को लूटते रहे। शिकायत के बाद भी विभागीय अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं किया। एक अनुमान के मुताबिक लगभग आगरा जून में लगभग 20 करोड रुपए की ओवर रेटिंग हुई है।
इसी तरह मेरठ मुरादाबाद कानपुर लखनऊ वाराणसी गोरखपुर झांसी जैसे जिलों से भी लगातार ओवर रेटिंग की खबरें आती रही।
कमिश्नर ने दी जैनेंद्र उपाध्याय को वसूली की जिम्मेदारी
पूरे प्रदेश में ओवर रेटिंग और मिलावटी शराब की बिक्री और उत्पादन रोकने की जिम्मेदारी संयुक्त आबकारी आयुक्त प्रवर्तन जैनेंद्र उपाध्याय का था लेकिन उन्होंने दीपावली पर सुनियोजित लूट की योजना बनाई और हर जिले में ओवर रेटिंग का टारगेट फिक्स कर दिया। इसके लिए उन्होंने एक और जहां प्रवर्तन टीम को जहां निष्क्रीय कर दिया वही लाइसेंसी कारोबारी को ओवर रेटिंग की खुली छूट दे दी और एक अनुमान के मुताबिक उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में जमकर ओवर रेटिंग हुई और इसमें करीब 100 करोड रुपए की वसूली हुई।
प्रयागराज डिवीजन भी चर्चा में
जॉइंट कमिश्नर एनफोर्समेंट जैनेंद्र उपाध्याय खुद मुख्यालय में बैठते हैं बावजूद इसके प्रयागराज में जबरदस्त ओवर रेटिंग हुई और तमाम शिकायतें सीधे उन तक पहुंची लेकिन किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई। शहर और ग्रामीण क्षेत्र से लगातार ओवर रेटिंग हुई जिसको लेकर मीडिया में सुर्खियां भी बनी लेकिन इसको लेकर जैनेंद्र उपाध्याय पर कोई फर्क नहीं पड़ा है। कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि इस दीपावली आबकारी अधिकारियों ने लूट की जो योजना बनाई थी वह पूरी तरह सफल रही।
देर रात तक शराब कारोबारी से गिफ्ट वसूलते रहे अधिकारी
लखनऊ के जिला आबकारी अधिकारी सुशील मिश्रा जॉइंट कमिश्नर एके राय देर रात तक शराब कारोबारी से ओवर रेटिंग का अपना हिस्सा वसूलते रहे। बताया जा रहा है कि पूरे लखनऊ जनपद में लगभग 19 करोड रुपए की ओवर रेटिंग हुई है। जिसमें 10 करोड रुपए से ज्यादा विभागीय अधिकारियों को बांटा गया है।
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