लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अवैध शराब की बिक्री और उत्पादन को रोकने के लिए आबकारी आयुक्त सेंथिल पांडियन सी भले ही अभियान चलाने का ढोंग कर रहे हो लेकिन वास्तविकता यह है कि शराब तस्करी रुकने का नाम नहीं ले रही है।
ताजा मामला बलिया जनपद का है जहां थाना प्रभारी चितबड़ागांव राम सजन नागर क्षेत्र में गश्त कर रहे थे। इस दौरान सूचना मिली कि तीन चार पहिया वाहनों से अवैध शराब तस्करी कर बिहार ले जाई जा रही है। सूचना के आधार पर एसओजी और स्थानीय पुलिस टीम ने नरही मोड़ तिराहे के आगे रामपुर चिट में चेकिंग शुरू की। इस दौरान 2 पिकअप और एक स्कॉर्पियो से कुल 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया। उनके कब्जे से 30 लाख की अंग्रेजी शराब बरामद की गई। पुलिस को अंदेशा है कि बरामद वाहन भी चोरी के हो सकते हैं। गिरफ्तार आरोपियों में सभी बिहार के रहने वाले हैं।एएसपी डीपी तिवारी ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ की जा रही है।
आबकारी विभाग की दुकान से बिहार भेजी जा रही थी शराब:
चितबड़ागांव बलिया पुलिस और एसओजी की इस कार्रवाई से शराब माफियाओं में हड़कंप मचा हुआ है।
पूछताछ में तस्करों ने बताया कि चितबड़ागांव कस्बा के आबकारी विभाग की लाइसेंस की दुकान से वह शराब लेकर जा रहे थे। पुलिस का कहना है कि शराब तस्करी में आबकारी विभाग की लाइसेंसी दुकान का सेल्समैन भी शामिल है और उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है।
जॉइंट एआईबी के साथ-साथ आबकारी विभाग की भूमिका भी संदिग्ध:
कहा तो यहां तक जा रहा है कि यूपी से बिहार में शराब तस्करी होती है यह जानकारी जॉइंट इआईबी जैनेंद्र उपाध्याय को भी है लेकिन शराब तस्करी से जुड़े सिंडीकेट से उनके कथित तौर पर रिश्ते बताए जा रहे हैं जिसकी वजह से कार्रवाई नहीं हो रही है। यह भी कहा जा रहा है कि यदि स्थानीय प्रवर्तन दल शराब तस्करी और अवैध बिक्री में संलिप्त लाइसेंसी या सेल्समैन के खिलाफ किसी तरह का एक्शन लेते हैं तो इआईबी प्रवर्तन दल के खिलाफ ही कार्रवाई शुरू कर देता है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि वास्तव में आबकारी विभाग के अधिकारियों पर शराब तस्कर करोड़ो रुपए लुटा रहे हैं जिसकी वजह से इन्हें भी लूटने की छूट दी जा रही है।
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