लखनऊ। फर्जी पोर्टल के जरिए ट्रांसफर पोस्टिंग करके विवादों में आए आबकारी आयुक्त सैंथिल पांडियन सी और उनके गैंग एक बार फिर सक्रिय हो गया है। चुनाव आयोग ने 3 साल या उससे अधिक समय तक एक ही स्थान पर पोस्ट रहने वाले अधिकारियों का विभाग से डाटा मांगा है जिसमें कमिश्नर सेंथिल पांडियन सी के करीबी बुलंदशहर के जिला आबकारी अधिकारी गाजियाबाद के जिला आबकारी अधिकारी राकेश सिंह और लखनऊ के जिला आबकारी अधिकारी सुशील मिश्रा चुनाव आयोग के रडार पर आ गए हैं। बता दे कि यह वह जिला आबकारी अधिकारी है जो शराब माफियाओं के काफी करीबी है। इन आबकारी अधिकारियों के माध्यम से आबकारी आयुक्त अपनी सभी कामनाएं पूर्ण करते हैं। इस समय जब चुनाव आयोग किसी भी दशा में तीन या उससे अधिक समय तक पोस्ट रहने वाले अधिकारियों को हटाने का निर्देश दे रहा है ऐसे में सबसे ज्यादा बेचैन आबकारी आयुक्त पांडियन हो गए हैं लाडले कई डिप्टी कमिश्नर और आबकारी अधिकारियों का तबादला होना तय है। कमिश्नर सेंथिल पांडियन ने व्यवस्थापन और राजस्व हित का हवाला देते हुए विभाग को चुनाव आयोग की तबादला नीति से छूट देने के लिए प्रमुख सचिव से चुनाव आयोग को पत्र लिखने का आग्रह किया जिसे प्रमुख सचिव ने सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि चुनाव आयोग के निर्देशों का हर हाल में पालन किया जाना चाहिए । प्रमुख सचिव के निर्देश के बाद कमिश्नर असहाय महसूस कर रहे हैं। इस बीच चुनाव आयोग के प्रकोप से बचने के लिए कई मलाईदार सर्कल में तैनात लगभग डेढ़ दर्जन इंस्पेक्टर भी एक्टिव हो गए हैं तबादले से बचने के लिए इंस्पेक्टर मुंह मांगी कीमत देने को तैयार हो गए हैं और उनसे वसूली भी जारी है।
आबकारी मुख्यालय में 8 वर्षों से तैनात प्रसेन राय, वरिष्ठ लैब सहायक अनिल वर्मा एवं मुख्यालय में लगभग 7 वर्षों से तैनात दीपक रस्तोगी का हर हाल में तबादला होना चाहिए लेकिन आबकारी आयुक्त अपना निजी स्वार्थ साधने के लिए विभाग में किसी भी प्रकार के तबादले के खिलाफ हैं।
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