मुंबई। महाराष्ट्र बोर्ड स्कूल पाठ्यक्रम में मनुस्मृति के छंदों को शामिल करने की एनडीए सरकार की पहल बड़े विवाद में बदल रहा है। इंडिया गठबंधन जहां अभी इस पर चुप है, वहीं उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने सरकार के भीतर से इसका विरोध किया जा रहा है। एनसीपी अजीत पवार गुट की सोमवार को मुंबई में हुई बैठक में भी इस मामले को पार्टी के नेताओं इस मुद्दे को जोर-जोर से उठाया है।
आखिरकार अजीत पवार को घोषणा करना पड़ा कि उनकी पार्टी तब तक ऐसा नहीं होने देगी जब तक वह ‘महायुति’ सरकार का हिस्सा है।
राज्य स्कूल शिक्षा विभाग ने अपने स्कूल पाठ्यक्रम ढांचे (एससीएफ) को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के साथ मिलाने के बाद ‘भारतीय ज्ञान प्रणाली’ (आईकेएस) का एक ड्राफ्ट पेश किया था। आईकेएस ड्राफ्ट के लिए सुझाव और आपत्तियां मांगी गई हैं। इसमें सुझाव दिया गया है कि संतों जैसे धार्मिक व्यक्तित्वों के जीवन का अध्ययन किया जाना चाहिए और साथ ही भगवद गीता और मनुस्मृति के मूल छंदों को भी शामिल करने की सिफारिश की गई है जिसकी वजह से समाज के बड़े हिस्से में व्यापक चिंता प्रकट की जा रही है।
छगन भुजबल नाराज बोले यह तो बहुत ही खतरनाक साजिश:
अब हमारे छात्रों को मनुस्मृति और मनचे श्लोक से छंद याद करने के लिए कहा जाएगा। यह भाजपा द्वारा उठाए गए नारे ‘अब की बार, 400 पार’ से भी अधिक खतरनाक है, जिसने यह धारणा बनाने में मदद की कि सरकार संविधान को बदलना चाह रही है। हमने मनुस्मृति को जलाया है क्योंकि हम चतुर्वर्ण (जाति व्यवस्था) के विरोधी थे।
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