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प्रतापगढ़ में टीएचआर प्लांट लगाने में करोड़ों रुपए का घपला: बाल पोषाहार प्रिमिक्स तैयार करने के लिए कच्चे माल की खरीद में जमकर फर्जीवाड़ा

प्रतापगढ़। केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा गांव की गरीब महिलाओं को उद्यमी बनाकर उनका आर्थिक उन्नयन करने की महत्वाकांक्षी योजना स्थानीय अधिकारियों के भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है।

मिली जानकारी के मुताबिक प्रतापगढ़ जनपद में बाल पोषाहार बनाकर महिला एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से आंगनबाड़ी केंद्र तक आपूर्ति करके आर्थिक रूप से ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की योजना धाराशयी होती दिखाई दे रही है।

टीएचआर प्लांट की स्थापना के लिए करोड़ों रुपए की मशीन बिना टेंडर के पायलट स्मिथ नाम की कंपनी से खरीदा गया। इस खरीद में व्यापक धांधली हुई। मशीन की कीमत करोड़ों में होने के बावजूद खुली निविदा के जरिए यह खरीद नहीं कराई गई। इस खरीद में एसोसिएशनऑफ पर्सन की गैर जानकारी में पायलट स्मिथ से मोटा कमीशन लेकर आपूर्ति का ठेका दे दिया गया। आपूर्ति की गई मशीन घटिया अस्तर की पाई गई जिसकी वजह से बाल पोषाहार बनाने का काम बाधित हुआ है। खुली निविदा के जरिए यह मशीन क्यों नहीं खरीदी गई इसको लेकर तरह-तरह की कहानी सुनाई जा रही है। कहां जा रहा है कि पायलट स्मिथ 18 जिलों में करीब 50 करोड रुपए के प्लांट लगाने का वर्क आर्डर दिया गया। टेंडर नहीं होने के चलते सरकार को लगभग 20 करोड रुपए का घाटा हुआ।

कच्चा माल खरीद में धांधली

घोटाला केवल प्रदेश स्तर पर ही नहीं हुआ है बल्कि स्थानीय स्तर पर भी हुआ है। इस टी एच आर प्लांट को स्थापित करने और इसके लिए कच्चा माल की आपूर्ति में भी करोड़ों का घपला हुआ है। बताया जा रहा है कि कच्चे माल के लिए शासनादेश में स्थानीय स्तर पर खरीद होनी थी लेकिन अब यह सुनने में आ रहा है कि कच्चे माल के रूप में स्किम्ड मिल्क लखनऊ की कोई भोलेनाथ फार्म के द्वारा किया जा रहा है जबकि चना और मोटे अनाज आदि की आपूर्ति भी बिना किसी टेंडर के चहेती फर्मों से लिया जा रहा है। मिली जानकारी के मुताबिक प्रत्येक प्लांट के लिए हर 2 महीने में 30 लख रुपए का कच्चा माल बिना टेंडर के अधिकारियों ने अपने करीबी लोगों के माध्यम से कागज पर ही करवा लिया है और फंड का व्यापक दुरुपयोग करते हुए बंदर बांट कर लिया।

जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा कहा जा रहा है कि टी एच आर प्लांट द्वारा मांग के अनुरूप उत्पादन नहीं किया जा सका है यदि ऐसा है तो यह भी और गंभीर सवाल पैदा कर रहा है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि यदि टी एच आर प्लांट खराब पड़े हैं तो फिर नियमित रूप से हर 2 महीने पर कच्चे माल की खरीद के हेड में लगभग एक प्लांट पर 30 लख रुपए किसकी जेब में गए और इस तरह जनपद के तीन टी एच आर प्लांट पर 90 लख रुपए हर 2 महीने पर कच्चे माल की खरीद के नाम पर भुगतान हो रहा है वह किसकी जेब में जा रहा है।

एक तरफ 100 से ज्यादा महिला स्वयं सहायता समूह टी एच आर प्लांट की स्थापना में कर्ज में डूब गए वहीं जिम्मेदार अधिकारी प्लांट की खरीद और कच्चे माल की खरीद से मालामाल हो गए। प्रतापगढ़ जनपद में हुए इस घोटाले की हर जुबान पर चर्चा है अब देखना है की जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है।

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