अवधभूमि

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बहराइच का दंगा संयोग या साजिश:

हजारों की भीड़ और नाम मात्र भी पुलिस सुरक्षा नहीं:

गोपाल मिश्रा को दूसरे समुदाय की छत पर चढ़ने से क्यों नहीं रोका गया:

बहराइच। बहराइच में दुर्गा प्रतिमा के विसर्जन के दौरान भड़की हिंसा में एक युवक की मौत हुई जबकि आगजनी में सैकड़ो घर दुकान और मकान जलकर राख हो गए। सुबह से स्थिति तनावपूर्ण है। हिंसा उस समय भड़क गई जब रामगोपाल मिश्रा  22 वर्षीय युवक ने दूसरे समुदाय की छत पर चढ़कर वहां लगे हरे रंग के झंडे को नोच कर फेंक दिया और भगवा ठंडा फहराने लगा तथा आपत्तिजनक नारे भी लगने लगा इस बीच रेलिंग टूट गई जिसके नीचे दबकर कुछ लोग घायल भी हुए। उतारने के बाद हिंसा भड़की और रामगोपाल मिश्रा की पिटाई के बाद गोली मारकर हत्या कर दी गई। हत्या की सूचना के बाद आसपास के इलाके में भी तनाव फैल गया भारी भीड़ जमा हो गई। बड़ी संख्या में हजारों लोग हाथ में डंडा और धारदार हथियार लेकर रास्ते में जो भी दुकान मकान मिला उसमें आगजनी करते हुए जमकर तांडव करते रहे और मौके पर जो भी पुलिस थी वह तमाशा देखती रही।

घटना साजिश या संजोग:

मिली जानकारी के मुताबिक यहां पर पुलिस की लोकल इंटेलीजेंस यूनिट का फेलियर सब दिखाई दे रहा है। जिस इलाके से दुर्गा प्रतिमा विसर्जन यात्रा गुजरने वाली थी  वहां 80% दूसरे समुदाय के लोगों की आबादी थी। दोनों पक्षों में संभावित तनाव को देखते हुए भारी मात्रा में पुलिस फोर्स की तैनाती की जानी थी लेकिन ऐसा नहीं किया गया। ऐसा क्यों नहीं किया गया इसका जवाब स्थानीय पुलिस प्रशासन देने की स्थिति में नहीं है लेकिन जब भी इसकी न्यायिक जांच होगी तो स्थानीय प्रशासन कटघरे में आसानी से आ जाएगा। सबसे बड़ा सवाल यह है कि रामगोपाल मिश्रा दूसरे समुदाय के मकान पर जब चढ़ रहा था तो उसे रोका क्यों नहीं गया। गोपाल मिश्रा को उकसाने वाले लोग कौन थे। क्या दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के लिए स्थानी पुलिस प्रशासन की सूचना पुलिस को दी गई थी और दी गई थी तो पुलिस प्रशासन की ओर से ऐसे संवेदनशील इलाके में पर्याप्त पुलिस बल तैनात क्यों नहीं किया गया। माना जा रहा है कि यदि पर्याप्त पुलिस प्रशासन होता तो ऐसी अप्रिय घटना को रोका जा सकता था। फिलहाल दोनों समुदाय के लोग पुलिस प्रशासन पर ही घटना के लिए उत्तरदाई मान रहे हैं। पुलिस प्रशासन के निकम्मी पन की वजह से लखनऊ से अतिरिक्त अधिकारी और फोर्स को भेजना पड़ा है। दंगा महंत सहयोग था या इसके पीछे साजिश रची गई थी और रची गई थी तो किसकी ओर से रची गई थी इसमें पुलिस प्रशासन की क्या भूमिका थी यह तभी सामने आएगा जब निष्पक्ष और पारदर्शी जांच होगी फिलहाल सरकार और प्रशासन की भूमिका तनाव को कम करना और स्थिति को काबू में करना ही होना चाहिए।

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