
लालगंज, प्रतापगढ़। राज्यसभा में विपक्ष के उपनेता प्रमोद तिवारी ने देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के द्वारा अपना कार्यकाल पूरा न कर पाने को अत्यन्त दुखद तथा दुर्भाग्यपूर्ण एवं देश के लिए हतप्रभ करने वाला गंभीर प्रकरण कहा है। उन्होने भाजपा पर इस मामले में सीधे किये गये प्रहार में कहा है कि भाजपा आदतन व साजिशन संवैधानिक पदों का अपमान कर रही है। उन्होने कहा कि भारत के दूसरे संवैधानिक महत्वपूर्ण पद पर सरकार की ओर से विदाई की भी संसदीय परम्परा का निर्वहन न करना इसका ताजा उदाहरण है। राज्यसभा मंे विपक्ष के उपनेता प्रमोद तिवारी ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के त्याग पत्र को लेकर पीएम मोदी की तगड़ी घेराबंदी करते हुए कहा कि देश में सेवाओं को लेकर प्रधानमंत्री के टवीट में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के प्रति धन्यवाद व प्रशंसा के एक भी शब्द नहीं हैं। उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री का यह टवीट ही उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ के त्याग पत्र की स्थिति बयां कर गया है। राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी ने कहा कि देश को आश्चर्य है कि सत्ता एवं विपक्ष की मौजूदगी में कार्य मंत्रणा समिति की त्याग पत्र के दिन देर शाम हुई बैठक तक उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पूरी तरह स्वस्थ थे। विपक्ष के उपनेता के रूप में बैठक के हवाले से उन्होने कहा कि कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में उपराष्ट्रपति धनखड़ हास परिहास भी करते दिखे। राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी ने कहा कि महज दो घंटे में ही उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का त्याग पत्र दिया जाना कई गंभीर सवाल छोड गया है। उन्होने कहा कि देश को अवश्य जानने का अधिकार है कि यह इस्तीफा दिया गया है अथवा लिया गया है। उन्होने कहा कि संवैधानिक पद से कोई विदा लेता है तब देश की सेवाओं के प्रति उसका धन्यवाद प्रकट किया जाता है। उन्होने कहा कि मोदी सरकार ने इस परम्परा का निर्वहन तक न कर यह साबित कर दिया है कि संविधान अथवा उसकी परम्पराओं की गरिमा के प्रति वह कतई गंभीर नही है। वहीं राज्यसभा में विपक्ष के उपनेता प्रमोद तिवारी ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के भी शिष्टता को लेकर दिये गये बयान की भी घेराबंदी की है। उन्होने भागवत के भारतीय संस्कृति को लेकर दुनिया के मार्गदर्शन से जुड़े बयान पर करारा तंज कसा है। उन्होने कहा कि भागवत दुनिया की चिन्ता छोड़कर भाजपा और प्रधानमंत्री की चिन्ता करें। राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी ने कहा कि उपराष्ट्रपति अपना कार्यकाल तक पूरा नही कर पाये। उन्होने कहा कि ऐसे में भागवत को शिष्टता की यह सीख पचहत्तर वर्ष की उम्र सीमा को लेकर प्रधानमंत्री की जबाबदेही को लेकर चिंतनीय होनी चाहिए। उन्होने कहा कि भागवत को मोदी सरकार के द्वारा उपराष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पद के प्रति भी प्रदर्शित असम्मान को संभालने के प्रति केन्द्रित होनी चाहिए। राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी का यह बयान बुधवार को मीडिया प्रभारी ज्ञानप्रकाश शुक्ल के हवाले से निर्गत हुआ है।
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