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आबकारी मुख्यालय में घमासान: निरीक्षक शैलेंद्र तिवारी पर गंभीर आरोप, अवध भूमि न्यूज़ को भी बनाया निशाना, मंत्री तक पहुंचा मामला:

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लखनऊ। आबकारी विभाग मुख्यालय इन दिनों आंतरिक राजनीति और संगठन चुनाव को लेकर सुर्खियों में है। विभाग में तैनात निरीक्षक शैलेंद्र तिवारी पर आरोप है कि वे आबकारी निरीक्षक संघ के चुनाव को प्रभावित करने के लिए आयुक्त का नाम लेकर वोट मांग रहे हैं। आरोप यह भी है कि वे खुद को आयुक्त का करीबी बताकर संगठन में दबदबा बनाना चाहते हैं। इतना ही नहीं, हाल ही में वायरल हुए एक व्हाट्सएप चैट में उन्होंने अवध भूमि न्यूज़ को खुलेआम निशाना बनाया और धमकी दी, जिससे विभाग में हलचल मच गई है।

अवध भूमि न्यूज़ पर सीधा हमला

वायरल चैट में शैलेंद्र तिवारी ने स्पष्ट रूप से कहा कि अवध भूमि न्यूज़ के खिलाफ वह लड़ाई लड़ रहे हैं। इस चैट के जरिए उन्होंने अपने कैंडिडेट के लिए वोट की मांग भी की और यह जताने की कोशिश की कि वे आबकारी आयुक्त के बेहद नजदीकी हैं। विभागीय सूत्रों का कहना है कि किसी समाचार माध्यम को इस तरह निशाना बनाना न केवल अनुशासनहीनता है, बल्कि यह प्रेस की स्वतंत्रता पर भी सवाल खड़ा करता है।

आयुक्त की छवि पर असर

शैलेंद्र तिवारी पर आरोप है कि वे लगातार आयुक्त का नाम लेकर निरीक्षक संवर्ग पर दबाव बनाते रहे हैं। विभागीय सूत्र बताते हैं कि आयुक्त स्तर की सुनवाई में भी वे अवैध रूप से शामिल होते रहे हैं। जिन निरीक्षकों को चार्जशीट या मेजर पनिशमेंट मिला है, उनमें से कई मामलों के पीछे शैलेंद्र तिवारी और निरीक्षक प्रसेन राय का हाथ बताया जा रहा है। इन गतिविधियों की वजह से आयुक्त की छवि पर नकारात्मक असर पड़ा है और उन्हें गुमराह किए जाने की चर्चा भी तेज है।

मंत्री और आयुक्त की नाराज़गी

वायरल चैट के सामने आने के बाद विभागीय मंत्री तक मामला पहुंच गया है। सूत्रों के अनुसार मंत्री इस पूरे घटनाक्रम से बेहद नाराज़ हैं और इसे अनुशासनहीनता के तौर पर देख रहे हैं। वहीं, आयुक्त भी निरीक्षक के इस व्यवहार से असहज बताए जा रहे हैं क्योंकि सीधे उनकी छवि धूमिल हो रही है। माना जा रहा है कि इस मामले में जल्द ही बड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है।

संगठन चुनाव में गहरी रुचि क्यों?

विभागीय चर्चाओं में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर निरीक्षक शैलेंद्र तिवारी और प्रसेन राय को निरीक्षक संघ के चुनाव में इतनी दिलचस्पी क्यों है। आरोप है कि दोनों संगठन का पदाधिकारी बनकर विभागीय कार्रवाई से बचना चाहते हैं। विभागीय कर्मचारियों का कहना है कि जब कोई पदाधिकारी बन जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई करना कठिन हो जाता है। यही वजह है कि दोनों निरीक्षक हर हाल में संगठन में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं।

प्रसेन राय पर भी आरोप

शैलेंद्र तिवारी के साथ-साथ निरीक्षक प्रसेन राय पर भी गंभीर आरोप लगे हैं। बताया जाता है कि वे पिछले 15 वर्षों से नियम विरुद्ध कार्मिक शाखा में तैनात हैं और इस दौरान उन्होंने विभागीय प्रक्रियाओं पर जबरदस्त पकड़ बना ली है। कर्मचारियों का आरोप है कि राय और तिवारी मिलकर विभागीय फैसलों को प्रभावित करते हैं और अपने हितों के लिए आयुक्त का नाम इस्तेमाल करते हैं।

सुधार की राह में बाधा

विभागीय सूत्रों के अनुसार, आबकारी आयुक्त विभाग में सुधार की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन शैलेंद्र तिवारी और प्रसेन राय की वजह से यह प्रयास सफल नहीं हो पा रहे। निरीक्षक संवर्ग में असंतोष का माहौल है। जिन अधिकारियों को चार्जशीट या मेजर पनिशमेंट मिला है, वे भी मानते हैं कि इसके पीछे इन दोनों का ही दबाव और हस्तक्षेप रहा है।

मीडिया से कराई दुश्मनी

कर्मचारियों का कहना है कि शैलेंद्र तिवारी की वजह से आयुक्त की मीडिया से अनावश्यक टकराव की स्थिति बनी है। वे यह प्रचारित करते हैं कि सारी लड़ाई वे कमिश्नर के लिए लड़ रहे हैं, लेकिन इसका उल्टा असर यह हो रहा है कि विभाग और आयुक्त की बदनामी हो रही है।

संभावित कार्रवाई के संकेत

अब जबकि पूरा मामला न केवल आयुक्त बल्कि मंत्री के संज्ञान में भी आ चुका है, तो संकेत हैं कि शैलेंद्र तिवारी पर कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है। विभागीय जानकारों का कहना है कि यदि इस प्रकरण पर सख्ती नहीं दिखाई गई, तो निरीक्षक संघ का चुनाव विभागीय राजनीति का अड्डा बन जाएगा और विभाग की छवि और भी धूमिल होगी।


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