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मंत्री के आने से पहले ही उनकी कुर्सी पर बैठे कमिश्नर, समीक्षा बैठक में दिखी अराजकता — प्रमुख सचिव मौन, प्रोटोकॉल और आचार संहिता का उल्लंघन
📍 लखनऊ | संवाददाता
🗓️ गुरुवार, 7 नवम्बर 2025
आबकारी विभाग की समीक्षा बैठक में गुरुवार को बड़ा प्रोटोकॉल विवाद सामने आया।
सूत्रों के अनुसार, मंत्री के आने से पहले ही कमिश्नर आदर्श सिंह मंत्री की निर्धारित कुर्सी पर जाकर बैठ गए और वहीं से प्रमुख सचिव तथा अन्य अधिकारियों के साथ चर्चा करने लगे।
बैठक में प्रमुख सचिव और विशेष सचिव की उपस्थिति के बावजूद किसी ने इस अनुचित आचरण पर आपत्ति नहीं जताई।
यह दृश्य प्रशासनिक मर्यादा, पद की गरिमा और विभागीय अनुशासन — तीनों के प्रति गंभीर असंवेदनशीलता को दर्शाता है।
🔹 घटना का विवरण
जानकारी के मुताबिक, मंत्री जी बैठक कक्ष में प्रवेश करने से पहले कुछ दस्तावेजों का अवलोकन कर रहे थे। इसी दौरान कमिश्नर आदर्श सिंह ने मंत्री की कुर्सी पर जाकर बैठ गए और फाइलों पर चर्चा शुरू कर दी।
मंत्री के आगमन से पहले उनका स्थान ग्रहण करना सरकारी प्रोटोकॉल और आचार संहिता का सीधा उल्लंघन है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार, यह कोई पहली बार नहीं है जब कमिश्नर स्तर से मंत्री के आदेशों की अनदेखी की गई हो।
पहले भी कई बार मंत्री द्वारा दिए गए निर्देशों को टालने और हल्के में लेने की शिकायतें उठ चुकी हैं।
⚖️ कमिश्नर द्वारा किए गए नियम उल्लंघन
- प्रोटोकॉल उल्लंघन: मंत्री की कुर्सी पर बैठना सरकारी शिष्टाचार और विभागीय अनुशासन का सीधा उल्लंघन है।
- आचरण संहिता का उल्लंघन: ऑल इंडिया सर्विस (कंडक्ट) रूल्स, 1968 की धारा 3(1) के अनुसार वरिष्ठ पद की गरिमा का अनादर अनुचित आचरण माना जाता है।
- अनुशासनहीनता: मंत्री की उपस्थिति से पूर्व उनके स्थान पर बैठना सेवा अनुशासन और मर्यादा के विरुद्ध है।
- विभागीय आदेशों की अवहेलना: मंत्री के निर्देशों की बार-बार अनदेखी शासन व्यवस्था को कमजोर करने के समान है।
🔹 संभावित कार्रवाई
- कारण बताओ नोटिस: शासन को कमिश्नर से तत्काल स्पष्टीकरण मांगना चाहिए कि उन्होंने मंत्री की कुर्सी पर बैठने जैसी अनुचित हरकत क्यों की।
- विभागीय जांच: सेवा नियमों के तहत प्रोटोकॉल उल्लंघन की पुष्टि के लिए विभागीय जांच अनिवार्य है।
- कड़ी कार्रवाई: दोष सिद्ध होने पर कमिश्नर के खिलाफ चेतावनी, पदस्थापन परिवर्तन या निलंबन जैसी कार्रवाई की जा सकती है।
🗣️ विभागीय प्रतिक्रिया
विभागीय सूत्रों के अनुसार, पूरी घटना की रिपोर्ट शासन को भेजी जा रही है और उच्चस्तरीय समीक्षा के बाद कार्रवाई तय की जाएगी।
वरिष्ठ अधिकारी मानते हैं कि इस प्रकार का आचरण न केवल मंत्री की गरिमा को ठेस पहुंचाता है, बल्कि विभागीय अनुशासन पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
📸 (तस्वीर: समीक्षा बैठक में मंत्री के आने से पहले मंत्री की कुर्सी पर बैठे नजर आए कमिश्नर आदर्श सिंह)






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