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आबकारी महा घोटाला भाग 3: कमिश्नर की देखरेख में चल रहा है आबकारी महकमे का अवैध पोर्टल: डिस्टलरी को जारी हो रहे हैं मनमाने क्यूआर कोड: अब तक हो चुका है हजारों करोड़ का घपला: सहायक आबकारी आयुक्त लाइसेंस हरिश्चंद्र श्रीवास्तव है मास्टरमाइंड:

लखनऊ। आबकारी महकमें में जिन अधिकारियों को भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए और विभाग का राजस्व बढ़ाने की जिम्मेदारी दी गई वही इस विभाग को लूटने में लग गए हैं। एक तरफ जहां देसी शराब बनाने के लिए चीनी मिलों से ₹150 प्रति क्विंटल की दर से मिले शीरे को शराब कंपनियों ने देसी शराब न बनाकर विदेशी मदद तैयार की और मोटा मुनाफा कमाया वही आबकारी विभाग को हजारों करोड़ का चूना लगाया। आबकारी विभाग को हजारों करोड़ रुपए का चूना लगाने में विभाग के कमिश्नर और पूर्व प्रमुख सचिव संजय भूसरेड्डी ने हजारों करोड़ का साम्राज्य खड़ा किया। आबकारी विभाग को किस तरह लूटा गया आज इसी पर आधारित है इस महा घोटाले की तीसरी कड़ी:

फर्जी और अवैध पोर्टल से शराब कंपनियां कर रही हैं जमा और निकासी:

2018 में तत्कालीन आयुक्त पी गुरुप्रसाद ने शराब कंपनियों के फर्जीवाड़े को रोकने के लिए ट्रेस एंड ट्रेक सिस्टम के नाम पर ओएसिस नाम की एक कंपनी को नियमों को ताक पर रखकर विभाग के लिए सीसीटीवी टैबलेट जीपीएस सिस्टम और एक पोर्टल स्थापित करने के लिए 544 करोड़ रूपया दिया। मजे की बात है कि 5 वर्ष बीत जाने के बाद भी अभी तक ओएसिस ने निविदा शर्तों के अनुसार सभी लाइसेंसी को ना तो सीसीटीवी उपलब्ध करा पाई और ना ही ओएसिस विभाग के लिए पोर्टल स्थापित कर पाया। नियमानुसार निविदा शर्तों के मुताबिक आपूर्ति न करने और डिफाल्टर होने की दशा में कंपनी का टेंडर निरस्त कर देना चाहिए था और उसकी जगह नई कंपनी को मौका देना था लेकिन संजय भूसरेड्डी और कमिश्नर का नजदीकी होने के नाते ओएसिस कंपनी पर आंच भी नही आई और कंपनी विभाग का 544 करोड रुपया डकार गई:

विभाग के लिए काम कर रहा मेंटर जैसा अवैध पोर्टल

विभाग ने जिस पोस्ट इस कंपनी को ट्रेक एंड ट्रेस सिस्टम स्थापित करने की जिम्मेदारी दी थी जब वह डिफाल्टर हो गया तो उस पर कार्रवाई करने के बजाय विभाग में तैनात सहायक आबकारी आयुक्त लाइसेंस हरिश्चंद्र श्रीवास्तव के रिश्तेदार अशोक श्रीवास्तव की एक कंपनी मैटर को बिना किसी टेंडर के ट्रेस एंड ट्रेक सिस्टम की जिम्मेदारी पूर्व प्रमुख सचिव संजय भूसरेड्डी और वर्तमान कमिश्नर सेंथिल पांडियन सी ने दे दी। मैटर पोर्टल पर ही इस समय शराब कंपनियों के लिए अवैध जमा और निकासी का काम चल रहा है। क्योंकि मेंटर पोर्टल पर अवैध रूप से आबकारी विभाग का डाटा उपलब्ध है इसीलिए 2019 से आज तक विभाग द्वारा एजी या सीएजी ऑफिस द्वारा त्रास और ट्रैक सिस्टम का ऑडिट ही नहीं कराया गया।

पोर्टल के जरिए किया जा रहा फर्जीवाड़ा

सूत्रों का कहना है कि मैटर पोर्टल के जरिए अवैध रूप से शराब कंपनियों में उपलब्ध शीरे और उसके सापेक्ष तैयार एथेनॉल एवं शराब की फर्जी जमा और निकासी दिखाई जा रही है। शराब कंपनियों को प्रतिमाह सैकड़ो करोड़ का लाभ हो रहा है और इसका एक बड़ा हिस्सा कमिश्नर को भी तथा कथित तौर पर दिया जा रहा है।

ओएसिस पोर्टल इस्तेमाल करने के लिए अब लाइसेंसी पर बनाया जा रहा है दबाव

इस महा घोटाले की पोल खुलती देख रिटायर्ड प्रमुख सचिव संजय भूसरेड्डी और वर्तमान कमिश्नर सेंथिल पांडियन सी अब शराब कंपनियों और लाइसेंसी पर ओएसिस पोर्टल पर डाटा ट्रांसफर करने का दबाव बना रहे हैं लेकिन बताया जा रहा है कि ओएसिस पर डाटा आसानी से ट्रांसफर नहीं हो रहा है क्योंकि मेंटर पोर्टल की डिजाइन ओएसिस से भिन्न है इसलिए लाख प्रयास के बावजूद अभी तक डाटा ट्रांसफर नहीं हो पा रहा है इस बीच पता चला है कि कमिश्नर ने 31 अक्टूबर तक मेंटल पोर्टल के डाटा को ओएसिस पर ट्रांसफर करने की डेडलाइन दी है। लेकिन यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि पिछले 4 सालों तक मेंटर पोर्टल अवैध रूप से आबकारी विभाग का डाटा शेयर करता रहा इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा और सहायक आबकारी आयुक्त लाइसेंस हरिश्चंद्र श्रीवास्तव के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई जब ओएसिस विभाग का अधिकृत डिजिटल ऐप है तो अभी तक मेंटर ऐप से विभाग के डाटा क्यों शेयर किए गए। मामले में वर्तमान कमिश्नर और पूर्व प्रमुख सचिव के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हुई। सब बड़े सवाल हैं जिनका जवाब मिलना बाकी है।

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