लखनऊ। डिप्टी एक्साइज कमिश्नर आलोक कुमार की जी निरीक्षण आख्या पर गोंडा के नवाबगंज स्थित स्टार लाइट डिस्टलरी से पचासी हजार लीटर ईएनए चोरी का खुलासा हुआ है इस मामले में वह खुद मास्टरमाइंड माने जा रहे हैं। आलोक कुमार पर की निरीक्षण आख्या पर उसे समय संदेह गहरा हो गया जब उन्होंने अपनी निरीक्षण आख्या में बताया कि मध्य प्रदेश के नौगांव से आयातित 58000 लीटरईएनए डिक्शनरी में तैनात सहायक आबकारी आयुक्त राम प्रीत चौहान और स्टार लाइट प्रबंधन की मिली भगत से गबन किया गया है तो उन्होंने अपनी निरीक्षण आख्या में यह नहीं बताया की नौगांव में कौन सा टैंकर ईएनए लेने के लिए गया था और टैंकर की जीपीएस लोकेशन कब और कहां दिखाई दी। दूसरा और अहम सवाल यह है कि जब निर्धारित अवधि यानी जून के महीने में 58000 लीटरईएनए स्टार लाइट डिस्टलरी नहीं पहुंचा तो विभाग के IESCMS पोर्टल पर इसकी आख्या आज तक क्यों नहीं अपलोड की गई। ऐसे तमाम सवाल हैं जो आलोक कुमार की निरीक्षण आख्या और उनको खुद कटघरे में खड़ा कर रहे हैं।
ईएनए घोटाले में प्रवर्तन इकाई पर मेहरबानी क्यों:
एक सबसे बड़ा अहम सवाल यह है कि किसी भी तरह की शराब तस्करी को रोकने की जिम्मेदारी जिले में प्रवर्तन इकाई की होती है ऐसे में डिप्टी एक्साइज कमिश्नर आलोक कुमार ने स्टार लाइट डिस्टलरी में तैनात सहायक आबकारी आयुक्त राम प्रीत चौहान को तो दोषी माना है लेकिन 58000 लीटर ईएनए गबन हो गया इस मामले में प्रवर्तन इकाई की जवाब दे ही क्यों तय नहीं की। इसके पीछे वजह बताई जा रही है कि क्योंकि प्रवर्तन इकाई डिप्टी साइज कमिश्नर के अधीन काम करती है ऐसे में यदि प्रवर्तन इकाई सवालों के घेरे में आएगी तो खुद डिप्टी एक्साइज कमिश्नर की जवाब दे ही तय हो जाएगी इसीलिए इस पूरे प्रकरण में एनफोर्समेंट को क्लीन चिट देखकर आलोक कुमार ने अपने को बचाने की कोशिश की है।
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