निरस्त लाइसेंस पर हो रहा भांग का उठान

प्रयागराज। आबकारी विभाग और भ्रष्टाचार का चोली दामन का साथ है। यहां आए दिन विभाग के आबकारी अधिकारी और इंस्पेक्टर कोई ना कोई गुल खिलाते रहते हैं। आबकारी विभाग के पूर्व डिप्टी लाइसेंस आलोक कुमार का एक कारनामा सामने आया है। उन्नाव की एक भांग से मुनक्का जैसी औषधि बनाने वाली एक आयुर्वैदिक फार्मा जिसका पार्टनरशिप विवाद के चलते नवीनीकरण नहीं हुआ और लाइसेंस एक्सपायर कर गया इसी फार्मा के एक पार्टनर से दुरभि संधि करके अवैध रूप से भांग कोट का उठान की अनुमति दी जाती रही है अब तक अवैध रूप से एक्सपायर लाइसेंस पर करोड़ों रुपए का कारोबार किया जा चुका है इससे जहां एक ओर जहां लाखों रुपए की जीएसटी का चोरी हुआ है वहीं अवैध रूप से भांग का उठान में हुआ है
खुल गई ऑनलाइन निकासी की पोल:
शराब की फैक्ट्री से गोदाम और गोदाम से दुकान तक की निकासी ऑनलाइन हो रही है ऐसे में सवाल उठता है कि भांग के गोदाम और गोदाम से विभिन्न फार्मा और दुकानों की सप्लाई का डाटा ऑनलाइन क्यों नहीं है इस खेल में कौन-कौन शामिल है अवैध रूप से लाइसेंस क्यों निर्गत किए गए। एक्सपायर लाइसेंस पर भांग की उठान कैसे हुई और पोर्टल पर इसका विवरण क्यों उपलब्ध नहीं है इसकी जानकारी किसको है। अपनी ईमानदारी का ढोल पीटने वाले आयुक्त महोदय क्या कभी इस पर नजर डालेंगे।


भ्रष्टाचार का मामला पहुंचा मुख्यमंत्री के दरबार
जनसुनवाई के जरिए उन्नाव के जिला आबकारी अधिकारी और डिप्टी लाइसेंस रहे आलोक कुमार का कारनामा मुख्यमंत्री के दरबार तक पहुंच गया है। देखना है इसके बाद विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की नींद टूटती है या नहीं।




            
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