
लखनऊ। एनसीएलटी द्वारा खुद को दिवालिया घोषित करवा कर असल जहां मुसीबत से बच गया वही कई हजार लोगों की जीवन भर की पूंजी असल के अवैध प्रोजेक्ट में डूब गई लेकिन कमल की बात है कि इस पूरे मामले में रेरा प्रमुख की भूमिका की जांच नहीं हो रही है। सूत्रों ने दावा किया है कि असल की मदद के बदले संजय भूष रेड्डी ने कई सौ करोड रुपए का वारा न्यारा किया है इन आरोपों की पुष्टि इस बात से भी हो सकती है कि रेरा प्रमुख के स्तर पर जितनी भी सुनवाई हुई है उसमें ज्यादातर मामलों में असल को राहत मिली है और खरीदारों की नहीं सुनी गई।
आखिरकार कब होगी uprera के चेयरमैन bhoosareddy के कार्यो की जाँच
25 फरवरी2025 को nclt ने uprera और लखनऊ विकास प्राधिकरण की खुली छूट एवम मिलीभगत के कारण अंसल एपीआई लखनऊ के प्रमोटर को दिवालिया प्रक्रिया के लिए अनुमति दे दी.एक बार Bayer ग्रुप्स के हल्ला-गुल्ला करने के बाद मुख्यमंत्री जी ने एक एक आवंटी को प्लॉट दिलाने एवम दोषियों को पाताल लोक में भी छुपे होने पर भी खोज के लाने की घोषणा सदन में करने के बावजूद अभी तक सुशांत गोल्फ सिटी लखनऊ में ही 75 लोगों की f.i.r. दर्ज होने के बाद भी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है.
F.i.r. दर्ज भी सीमित दायरे में मात्र चिन्हित धारा 420 अंतर्गत ही हों रहे हैं.ऐसे कई एक उदाहरण हैं.
इसी प्रकार से 20 मार्च 2025 को 1 माह बाद आयुक्त लखनऊ जो कि स्वयम लखनऊ विकास प्राधिकरण की अध्यक्ष है, फिर भी इनको निष्पक्ष जांच की जिम्मेदारी दे दी गई है जबकि इस प्रकरण में lda /uprera की शह के कारण ही unregistered /अविकसित परियोजनाओं में registree होती रहीं हैं!
बड़ा सवाल यह भी उठता है कि क्या सदन में मुख्यमंत्री जी द्वारा दिया गया आश्वासन पूर्ण हो सकेगा?ऐसे में क्यूँ नहीं कोई जाँच या कार्यवाही uprera प्रमुख संजय भूसा रेड्डी एवम lda के तत्कालीन vc पर भी हो रही है?क्या यही zero tollrance की नीति है??
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