फिर से चुनाव जीतने की उम्मीद खो बैठे हैं ज्यादातर समर्थक और कार्यकर्ता:

चंडीगढ़। हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए 3 महीने से कम समय रह गए हैं लेकिन जमीनी हालात भारतीय जनता पार्टी के लिए बहुत मुश्किल हो रही है। सर्वे के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी के बहुत से जमीनी कार्यकर्ता और समर्थक फिर से भारतीय जनता पार्टी के चुनाव जीतने की उम्मीद नहीं कर रहे हैं। यह निराशा बूथ स्तर तक पहुंची है। भारतीय जनता पार्टी के लिए सबसे बड़ी मुसीबत या है कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हरियाणा में अपनी लोकप्रियता गंवा बैठे हैं। पिछली बार भारतीय जनता पार्टी का बेड़ा उन्हीं की वजह से पार हुआ था। वर्तमान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को यहां पर कोई भी नेता मानने को तैयार नहीं है। इस समय तमाम लोकप्रिय घोषणाएं नायब सिंह कर रहे हैं लेकिन उसका असर जमीन पर नहीं दिख रहा है। लोग किसी भी दशा में भारतीय जनता पार्टी की सरकार से पिंड छुड़ाना चाहते हैं।
हालात इतने खराब हो गए हैं कि भारतीय जनता पार्टी के भी ज्यादातर विधायकों को फिर से चुनाव जीतने की उम्मीद नहीं है।
इधर लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के बाद कांग्रेस की उम्मीदों को पर लग गए हैं। भूपेंद्र सिंह हुड्डा 90 में 70 सीट जीतने का दावा कर रहे हैं। उनके दावे में दम इसलिए नजर आ रहा है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस लगभग 52 सीटों पर आगे रही है। लोकसभा चुनाव के मुकाबले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बेहतर प्रदर्शन कर सकती है यह जानकारी का मानना है।
अग्नि वीर किसान और बेरोजगारी इतना बड़ा चुनावी मुद्दा बन गया है कि भारतीय जनता पार्टी किसी और मुद्दे पर यहां बात ही नहीं कर पाएगी। जानकार सूत्रों का मानना है कि यदि यहां पर प्रधानमंत्री ने सांप्रदायिक मुद्दे को चुनाव में आगे बढ़ाया तो बीजेपी का सुपड़ा साफ होना निश्चित है। एक तरफ भारतीय जनता पार्टी के पास मुद्दों का अकाल है तो दूसरी ओर कांग्रेस के पास बीजेपी सरकार के खिलाफ मुद्दों की लंबी चौड़ी सूची है। देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी से कैसे सामना करती है।
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