अवधभूमि

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नई दिल्ली। चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी सतह पर उतरकर जो इतिहास रचा था उसके बाद पूरी दुनिया के निगाहें विक्रम लैंड रोवर पर टिकी हुई थी। विक्रम लैंड रोवर चंद्रमा के जी दक्षिणी सतह पर उतरा था वहां हिस्सा बर्फ से हमेशा ढका रहता है। जिस अवधि में यह यहां उतरा उस समय वहां दिन था चंद्रमा के उसे हिस्से पर लगातार 14 दिन तक धूप आता है जिसमें से 7 दिन व्यतीत हो गए हैं और अभी तक विक्रम लैंड रोवर सचेत नहीं हुआ है। लंबे अवधि तक विक्रम लैंड रोवर के सक्रिय न होने से इसरो के वैज्ञानिकों में मायूसी देखी जा रही है। कहा जा रहा है कि आने वाला 7 दिन बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अगले 7 दिनों में विक्रम लैंड रोवर सचेत नहीं हुआ तो वह हमेशा के लिए गहरी निद्रा में सो जाएगा इसके साथ ही मिशन चंद्रयान का उद्देश्य भी विफल हो जाएगा। चंद्रयान 3 को वहां जीवन की संभावनाओं का पता लगाने और वहां की जलवायु का सूक्ष्म निरीक्षण के लिए भेजा गया था। उम्मीद जताई गई थी कि विक्रम लैंड रोवर अगर अपने मिशन में सफल हो जाता तो पूरी दुनिया में अंतरिक्ष के क्षेत्र में नई क्रांति आ सकती थी।

कहां हुई चूक

इसरो वैज्ञानिकों ने चंद्रमा के जी दक्षिणी सतह पर विक्रम लैंड रोवर को उतारने की चुनौती सफलतापूर्वक पूरी की वही रणनीति अब विक्रम लैंड रोवर के निष्क्री होने का कारण माना जा रहा है। कहां जा रहा है कि उसे सतह पर अक्सर बर्फीले तूफान आते रहते हैं और वहां का टेंपरेचर- 200 डिग्री के आसपास होता है। विशेषज्ञों के मुताबिक विक्रम लैंड रोवर के जो भी पार्ट्स हैं वह इतने कम तापमान पर गल सकते हैं क्योंकि विक्रम लैंड रोवर को जिन धातुओं से बनाया गया है वह इतने कम तापमान के उपयुक्त नहीं है। फिलहाल अगले 7 दिनों तक वैज्ञानिकों को चमत्कार की उम्मीद है।

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