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सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अधिकारियों में हड़कंप
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद उत्तर प्रदेश में बुलडोजर चलाने वाले अधिकारियों की शामत आ गई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आदेश का उल्लंघन कर बुलडोजर से मकान गिरने वाले अधिकारियों के वेतन और फंड से वसूली कर पीड़ित की क्षति पूर्ति की जाए।
बुलडोजर एक्शन पर अपने ऐतिहासिक फैसले की शुरुआत सुप्रीम कोर्ट ने कवि प्रदीप की इस कविता से की. जस्टिस बी आर गवई और के वी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि सर पर छत होना संविधान के तहत हर नागरिक को मिले जीवन के मौलिक अधिकार का एक हिस्सा है. सरकार या प्रशासन को यह अधिकार नहीं कि वह बिना उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किए किसी का मकान गिरा दे. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई को लेकर विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए हैं. कोर्ट ने यह भी कहा कि इन निर्देशों का पालन न करने वाले अधिकारियों को संपत्ति के नुकसान का हर्जाना व्यक्तिगत रूप से देना होगा.
2022 में दिल्ली के जहांगीरपुरी में रामनवमी के जुलूस पर पथराव के बाद नगर निगम ने बुलडोजर कार्रवाई शुरू की थी. इसके खिलाफ जमीयत उलेमा ए हिन्द कोर्ट पहुंचा था. बाद में जमीयत ने यूपी समेत कई राज्यों में चल रहे बुलडोजर एक्शन को चुनौती दी. जमीयत ने कहा कि बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के यह बुलडोजर चलाए जा रहे हैं. इसमें मंशा अवैध निर्माण हटाने से अधिक लोगों को सबक सिखाने की होती है. बाद में सुप्रीम कोर्ट में कई और याचिकाएं दाखिल हुईं जिन पर अब फैसला आया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी व्यक्ति पर अपराध का आरोप लगना उसका मकान गिराने का आधार नहीं हो सकता. अपराध की सजा देना कोर्ट का काम है. प्रशासन जज बन कर किसी की सजा नहीं तय कर सकता. एक मकान में कई लोग रहते हैं. उनमें से किसी एक की गलती की सजा सबको देना वैसे भी सही नहीं कहा जा सकता.
कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई से पहले उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए मकान मालिक को नोटिस भेज कर जवाब का मौका देने की बात कही है. कोर्ट ने कहा है :-
* बुलडोजर एक्शन में म्युनिसिपल नियमों का पालन हो
* नियमों के मुताबिक मकान मालिक को नोटिस जाए
* यह नोटिस रजिस्टर्ड डाक से भेजा जाए, मकान पर भी चिपकाया जाए
* नोटिस में बताया जाए कि निर्माण कैसे अवैध है? उसे वैध साबित करने के लिए भवन मालिक को कौन से कागजात पेश करने होंगे
* जिसे नोटिस भेजा गया है, उसे कम से कम 15 दिन का समय दें. उससे पहले कार्रवाई न हो. अगर कोई खुद अवैध निर्माण हटाना चाहता है, तो उसे ऐसा करने दिया जाए
* भवन मालिक का जवाब सुन कर आदेश पारित करें
* यह देखा जाए कि क्या जुर्माना वसूल कर निर्माण को नियमित किया जा सकता है या क्या सिर्फ कुछ हिस्से को तोड़ना जरूरी हो
* मकान तभी गिराएं जब इसके अलावा कोई विकल्प न हों
* भवन के मालिक को जो नोटिस भेजा गया है, उसकी जानकारी जिले के डीएम को भी भेजें
* सभी डीएम 1 महीने में विध्वंस से जुड़े मामलों को देखने के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त करें
* एक पोर्टल बना कर 3 महीने में सभी नोटिसों की जानकारी उसमें डालें
* निर्माण को ढहाते समय पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी हो
* कार्यवाही के दौरान वहां मौजूद नगरपालिका और पुलिस के अधिकारियों के नाम दर्ज किए जाएं
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