
लखनऊ। झांसी के देवरी से उत्तर प्रदेश में 60 किलोमीटर पैदल यात्रा पर निकले धीरेंद्र शास्त्री 2027 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की राह का अरोड़ा बन सकते हैं। जानकारों का मानना है कि रामभद्राचार्य अपने शिष्य को उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े सिंहासन पर देखना चाहते हैं। उनकी सलाह पर ही धीरेंद्र शास्त्री इस यात्रा पर निकले हैं। सूत्रों का कहना है कि 2027 से पहले इस तरह की धीरेंद्र शास्त्री कई यात्राएं करने वाले हैं और हर जिले और विधानसभा में अपने समर्थकों की फौज खड़ी करना चाहते हैं। कहा जा रहा है कि 2027 से पहले योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश में हिंदुत्व का सबसे बड़ा चेहरा बनाने की जो कवायद हो रही है उसमें दिल्ली के भाजपा हाई कमान के कुछ बड़े नेताओं का भी हाथ धीरेंद्र शास्त्री के सिर पर है।
दरअसल हिंदुत्व की मजबूत छवि और कट्टरवादी इमेज के चलते केंद्रीय हाई कमान योगी आदित्यनाथ से सीधे टकराने में खुद को समर्थ और लाचार पा रहा है ऐसे में उनका एक विकल्प बनाने की तैयारी चल रही है। फिलहाल इस मामले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ धीरेंद्र शास्त्री के साथ नहीं है और ना ही उनके अनुषांगिक संगठन धीरेंद्र शास्त्री के इस पदयात्रा में शामिल हो रहे हैं इसका मतलब यह है कि संघ योगी आदित्यनाथ के साथ मजबूती के साथ खड़ा है फिर भी अमित शाह और नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि योगी आदित्यनाथ से भी ज्यादा लोकप्रिय चेहरा धीरेंद्र शास्त्री को आगे किया जाए। रणनीति यह है कि 2027 से पहले विपक्ष और योगी आदित्यनाथ को रोकने के लिए धीरेंद्र शास्त्री के समर्थकों को वोट बैंक में तब्दील करने की रणनीति पर काम किया जा रहा है।
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