प्रतापगढ़। जिला पंचायत राज अधिकारी आलोक कुमार सिन्हा इस समय फिर चर्चा में आ गए हैं। कहा जा रहा है कि इस समय डीपीआरओ ग्राम पंचायत अधिकारियों और ग्राम विकास अधिकारियों को मनचाहा क्लस्टर देने के लिए अपना रेट फिक्स कर दिया है। इस संबंध में विभाग में जो चलता है उसके हिसाब से जिन ग्राम पंचायत में अधिक बजट गया है ऐसे ग्राम पंचायतों के क्लस्टर की आकांक्षा रखने वाले सचिवों को 50000 से ₹100000 तक का शुकराना और नजराना देना पड़ रहा है। मजे की बात यह है कि यह वसूली जिला अधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी के नाम पर हो रही है।
क्लस्टर आवंटन में नियमों की अनदेखी
आम चर्चा है कि पंचायत अधिकारी को प्लास्टर आवंटन करने में नियम की धड़ल्ले से दर्जियों उड़ाई जा रही हैं। प्रमुख सचिव मनोज सिंह द्वारा स्पष्ट शासनादेश जारी किया गया है कि पंचायत सचिवों का स्थानांतरण ट्रांसफर सीजन के बाद नहीं किया जा सकता यदि किसी क्लस्टर के गांव को सचिवों से सम्बद्ध करना ही है तो क्लस्टर से जुड़ी हुई ग्राम पंचायत की कोई सीमावर्ती पंचायत ही अटैच की जा सकती है। फिलहाल डीपीआरओ ने अपनी दुकान सजा ली है और जमकर कमाई कर रहे हैं। ग्राहकों की कोई कमी नहीं है इसलिए नियम कानून के साथ खिलवाड़ करने में डीपीआरओ को भी कोई दिक्कत नहीं है। वह शाम से कहते हैं कि वह सब को मैनेज कर लेते हैं इसलिए सुखी हैं।
कमीशन के चक्कर में एचडीएफसी बैंक में जबरन खुलवाया खाता
जानकारी मिली है कि अंत्येष्टि स्थल के लिए जनपद की 20 ग्राम पंचायत में 24 – 24 लख रुपए भेजे गए. डीपीआरओ ने अपना कमीशन सुनिश्चित करने के लिए ग्राम पंचायत से एचडीएफसी बैंक में खाता खोलने के लिए जबरन दबाव डाला जबकि सभी ग्राम पंचायत के अंत्येष्टि मद में खाते पहले से ही उनकी ग्राम पंचायत के आसपास बैंकों में खुले हुए हैं। एचडीएफसी बैंक का मैनेजर डीपीआरओ का मित्र बताया जा रहा है।
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