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बैंको से 16180 करोड़ रुपये की ठगी: दुबई की कंपनी ने गरीबों का खाता खोलने के नाम पर महाराष्ट्र के कई बैंको का खजाना लूट लिया

हैकरों ने उड़ाए 16 हजार करोड़!

बैंक के दो पूर्व कर्मचारियों ने अन्य लोगों के साथ मिलकर कर डाला फर्जी वाड़ा

नौपाड़ा पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज

विदेशों में भी भेजी गई रकम संवाददाता/ठाणे

गरीबों को अपने झांसे में देकर उनका दस्तावेज लेकर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नोटरी बनाकर उसके जरिए संस्था स्थापित कर 241 बैंक खातों से 16 हजार 180 करोड़ 41 लाख 92 हजार 497 रुपए का कारोबार करने का मामला सामने आया है। साथ ही जांच में पता चला कि इसमें से कुछ रकम विदेश भी भेजी गई थी। ठाणे पुलिस की शिकायत के आधार पर नौपाड़ा पुलिस स्टेशन में पांच लोगों संजय सिंह, अमोल आंधळे उर्फ अमन, केदार उर्फ समीर दिघे, जीतेंद्र पांडे, नवीन और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इसमें बैंक में काम करने वाले दो पूर्व कर्मचारी भी शामिल है। जिन्होंने ने एक साजिश के तहत गरीबों का केवायसी लेकर इस फर्जीवाड़े को अंजाम दे डाला।

बता दें कि ठाणे क्राइम ब्रांच के अडिशनल सीपी पंजाबराव उगले ने ने बताया कि ऑनलाइन मनी ट्रांसफर करने वाली कंपनी पेगेट इंडिया का सॉफ्टवेयर हैक कर कंपनी को 25 करोड़ का चूना लगाने का खुलासा जून महीने में हुआ था। इस मामले में कंपनी की लीगल एडवायजर मनाली साठे ने ठाणे के श्रीनगर पुलिस थाने में केस दर्ज कराया था। इस मामले की जांच अपराध जांच शाखा की साइबर सेल के माध्यम से चल रही थी। पुलिस ने जांच के दौरान शेख इमरान और रवि गुलानी को गिरफ्तार कर लिया है। पंजाबराव उगले के मुताबिक जब उनसे पूछताछ की गई तो पता चला कि 25 करोड़ रुपये में से 1 करोड़ 39 लाख 19 हजार 264 रुपये कंपनी रियल एंटरप्राइजेज के बैंक खाते में गए थे। जब पुलिस अधिक तह तक गई तो पता चला कि रियाल इंटरप्राइजेज का मुख्य कार्यालय नवी मुंबई के सीबीडी बेलापुर में है। इसके बाद कंपनी के वाशी और बेलापुर में रियाल एंटरप्राइजेज के कार्यालयों की तलाशी ली, तो विभिन्न बैंक खाते और करार नामें बरामद हुए। इसके अलावा प्राप्त कुछ करारनामे ठाणे में हुए थे। इसमें फर्जी दस्तावेजों के आधार पर साझेदार संस्थाएं स्थापित की गईं। साथ ही यह बात भी सामने आई है कि 260 बैंक खातों से 16 हजार 180 करोड़ 41 लाख 92 हजार 497 रुपये ट्रांसफर किए गए हैं। जिसके बाद नौपाडा पुलिस स्टेशन में शासन की तरफ से भारतीय धारा 420, 409, 467, 468, 120 (बी), 134 सहित सूचना व तकनीक अधिनियम सन 2000 की धारा 66 (सी) और 66 (डी) के तहत मामला दर्ज किया गया। इनमें से अब तक पांच लोगों संजय सिंह, अमोल आंधले उर्फ अमन, केदार उर्फ समीर दिघे, जीतेंद्र पांडे, नवीन सहित अन्य लोगों का समावेश है।

पांच पार्टनरशिप कंपनियां बनाकर फर्जीवाड़ा
अडिशनल सीपी उगले के अनुसार ठाणे के स्टेशन रोड स्थित गणेश टॉकीज में में पांचो ने अन्य लोगो के साथ मिलकर पांच पार्टनशिप की कंपनियां विभिन्न संस्थाओं के नाम पर बनाए थे। जिसमें से अमोल आंधले मुंबई के कांदिवली का निवासी है और वह कई बैंकों में सेल्स मैनेजर के रूप में काम कर चुका है। अमोल केवाईसी में अच्छा काम करता था इसी का फायदा उठाते हुए उसने गरीबों को अपने झांसे में लिया और उनके पहचान पत्र जइस इ आधार कार्ड. पैन कार्ड और अन्य दस्तावेज जमाकर उनके नामों पर बैंक में खाता खोलता था और फिर मनी ट्रांसफर करता था। जबकि केदार उर्फ़ समीर दिघे खारघर का निवासी है। दिघे कई बैंकों में रिलेशनशिप मैनेजर के रूप में काम कर चूका है। वह गरीब ग्राहकों को अपनी जाल में फंसकर उनके नाम पर कई बैंकों में एक से 10 खाते खुलवाया और फर्जीवाड़े को अंजाम दिया।

कई प्राइवेट और सहकारी बैंकों का समावेश
एडिशनल सीपी उगले के अनुसार मामला दर्ज होने के बाद फॉरेंसिक ऑडिट से पता चला है कि उक्त लोगों ने अब तक एचडीएफसी, यस बैंक, कोटक बैंक, फर्स्ट बैंक सहित करीब आधा दर्जन से भी अधिक बैंकों में 260 से भी अधिक फर्जी खाता खोलकर करीब 16 हजार 180 करोड़ 41 लाख 92 हजार 497 रुपये ट्रांसफर किया गया है। जिसमें कुछ पैसे विदेश में भी भेजे जाने की आशंका है।

आरबीएल बैंक में 350 करोड़ का ट्रन्जेक्शन, सरकारी विभागों को भी लगाया चुना
क्राइम ब्रांच के अडिशनल सीपी पंजाबराव उगले ने बताया कि प्रथम दर्शनीय जांच में पता चला है कि उक्त लोगों ने आरबीएल बैंक में करीब 350 करोड़ का ट्रांजेक्शन 14 बैंकों के माध्यम से किया गया है। जिसकी जांच जारी है। उगले ने बताया कि इन लोगों ने इस फर्जीवाड़े को अंजाम देते हुए इनकम टैक्स और जीएसटी विभाग सहित अन्य सरकारी विभागों को भी चुना लगाया है। ऐसे में इन विभागों को भी सूचित कर डिटेल माँगा गया है।

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