संघ संजय जोशी को अध्यक्ष बनने पर अडिग, मोदी को संजय जोशी का नाम नामंजूर:

नई दिल्ली। जैसे-जैसे 31 में और 1 जून की तारीख नजदीक आ रही है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर तल्ख़ियां बढ़ती जा रही हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने प्रधानमंत्री की पसंद के किसी भी व्यक्ति को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने पर अपना विरोध दर्ज कराया है वहीं प्रधानमंत्री पूर्व संगठन मंत्री संजय विनायक जोशी के नाम को ना मंजूर कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के संबंध इतने अधिक खराब हो गए हैं कि चर्चा है कि जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को बदलने की बात प्रधानमंत्री के सामने रखी गई तो उन्होंने कहा कि संघ प्रमुख को भाजपा अध्यक्ष से पहले बदल जाना चाहिए। और नए भाजपा अध्यक्ष का चुनाव नया संघ प्रमुख करें इस पर मोहन भागवत की ओर से प्रतिक्रिया आई है कि जब तक भाजपा का अध्यक्ष नहीं बदल जाता वह अपने पद पर बने रहेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मोहन भागवत दोनों के बीच कोई मध्यस्थता करने को भी तैयार नहीं है। एक बार फिर जेपी नड्डा एक्टिव हो गए हैं उन्होंने अपना पुराना और फिर दोहराया है कि भाजपा संगठन को संघ की जरूरत नहीं है अर्थात भाजपा के अध्यक्ष पद के चुनाव में संघ की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी रुख खड़ा कर लिया है और कहा है कि यदि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पसंद का व्यक्ति भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं होगा तो भाजपा से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कोई मतलब भी नहीं रहेगा। कुल मिलाकर जून के महीने में मोहन भागवत और प्रधानमंत्री मोदी के बीच में एक जंग शुरू होने वाली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस जंग को अंडर कवर करना चाहते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि इस जंग का लाभ विपक्ष उठा सकता है और एनडीए के सहयोगी भी विचलित हो सकते हैं जिनकी समर्थन से उनकी सरकार चल रही है।
संजय विनायक जोशी के लिए प्रधानमंत्री मोदी से टकराने को तैयार मोहन भागवत:
संजय जोशी के मुद्दे पर मोहन भागवत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से टकराने को तैयार हो गए हैं उन्होंने कहा है कि वह तब तक अपना पद नहीं छोड़ेंगे जब तक संजय विनायक जोशी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बन जाते। मोहन भागवत यहां तक तैयार हैं कि यदि संघ की प्राथमिकता को दरकिनार करके भाजपा चलती है तो संघ भाजपा से अपना नाता तोड़ लेगा और अन्य विकल्प पर विचार करेगा। इधर भाजपा संगठन में भी दुविधा देखी जा रही है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दबाव में कुछ नेता बोलने से कतरा रहे हैं लेकिन उनका मानना है कि जिनको लंबे समय तक राजनीति करनी है वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बिना सरवाइव नहीं कर सकते वास्तव में बूथ स्तर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ही बीजेपी की सबसे बड़ी मशीनरी है कितना ही नहीं विचारधारा की दृष्टि से भी वह भाजपा की नीतियों को धार देती है प्रधानमंत्री मोदी संघ की ताकत से वाकिफ है लेकिन फिर भी वहां अपनी निजी दुश्मनी के चलते संजय विनायक जोशी को राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बनने देना चाहते जबकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मानना है कि 75 वर्ष की उम्र पूर्ण करने जा रहे प्रधानमंत्री को अब अपने संन्यास के बारे में सोचना चाहिए और पार्टी के भविष्य के लिए उन्हें हट जाना चाहिए। फिलहाल दोनों खेमू की तलवारे खिंच गई है आने वाले एक सप्ताह के अंदर दिल्ली में बड़ी हलचल मचने वाली है। यह हलचल जहां विपक्ष के लिए मसाला होगा वही प्रधानमंत्री और बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती।
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