अवधभूमि

हिंदी न्यूज़, हिंदी समाचार

आबकारी विभाग का नटवरलाल निकला जोगिंदर सिंह:

32 वर्षों तक आबकारी आयुक्त कार्यालय में पद पर बना रहने का बना दिया रिकार्ड:

बिना पद बार बार लिया प्रमोशन:

लखनऊ। वेब ग्रुप का करीबी आबकारी आयुक्त कार्यालय में तैनात वर्तमान संयुक्त निदेशक सांख्यिकी जोगिंदर सिंह की नियुक्ति को लेकर तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं।

मानव संपदा पोर्टल पर जो जानकारी अब मिल रही है उसके मुताबिक जोगिंदर सिंह 28 फरवरी 1992 में बतौर सहायक संख्या अधिकारी के रूप में अपनी सेवा शुरू की। 28 मई 1999 में वरिष्ठ सांख्यिकी अधिकारी के पद पर प्रोन्नत हो गए और आबकारी आयुक्त कार्यालय में ही बिना पद के अपनी सेवा शुरू कर दी। पुनः 7 जून 2016 में संयुक्त निदेशक सांख्यिकी के पद पर प्रोन्नत होकर रिलीव हुए और आबकारी आयुक्त कार्यालय में ही बिना पद के अपनी सेवा आज तक दे रहे हैं। जोगिंदर सिंह की पदोन्नति पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब जोगिंदर सिंह सहायक सांख्यिकी अधिकारी के रूप में कार्यरत हुए उस समय क्या आबकारी आयुक्त मुख्यालय में वरिष्ठ सांख्यिकी का पद स्वीकृत था या नहीं यदि स्वीकृत था तो उसे पोस्ट पर कौन सेवारत था। अगला सवाल यह उठत है कि जब जोगिंदर सिंह वरिष्ठ सांख्यिकी अधिकारी बन गए तो सहायक सांख्यिकी अधिकारी की पोस्ट पर किसकी तैनाती हुई। यहां भी एक बड़ा सवाल है कि जब 7 जून 2016 को जो जोगिंदर सिंह संयुक्त सांख्यिकी निर्देशक बन गए तो वरिष्ठ संख्या की अधिकारी और सहायक सांख्यिकी अधिकारी के पद पर किसकी तैनाती हुई। सवालों की फेहरिस्त में एक सवाल और भी है वह यह कि जब 31 अक्टूबर 2024 को संयुक्त सांख्यिकी के निदेशक के पद से जोगिंदर सिंह रिटायर होंगे तो क्या यह पद खाली रहेगा या इस पद को वरिष्ठ सांख्यिकी अधिकारी पद से प्रोन्नति के आधार पर भरा जाएगा। यह भी सवाल है कि क्या जॉइंट डायरेक्टर के पद पर आप सीधी भर्ती होगी। फिलहाल इन सवालों का कोई जवाब नहीं मिल रहा है। इस पद पर जोगिंदर सिंह की न केवल अवैध रूप से सर्विस चल रही है बल्कि उन्हें कई महत्वपूर्ण दायित्व भी दिया गया है। बताया जा रहा है कि डिजिटल अल्कोहल मीटर की खरीद की जिम्मेदारी भी जोगिंदर सिंह के पास है। जोगिंदर सिंह को ही आयुक्तालय का जन सूचना अधिकारी भी बनाया गया है। फिलहाल जोगिंदर सिंह तीन पदों पर किस प्रकार 32 वर्षों तक अनवरत किस तरह सेवारत रहे यह अपने आप में बड़ा अजूबा है। 32 वर्षों तक आबकारी विभाग से उनका ट्रांसफर ही नहीं हुआ और उनके कैडर को नियमित मान लिया गया जबकि इस संबंध में वित्त मंत्रालय और कैबिनेट की कभी कोई मंजूरी नहीं दी गई। अगर मंजूरी मिली होती तो इस संबंध में विस्तृत शासनादेश जारी किया गया होता। फिलहाल कार्मिक विभाग इस संबंध में कुछ भी स्पष्ट बताने की स्थिति में नहीं है।

About Author