लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने शीरे को लेकर अपनी नई नीति घोषित कर दी है जो काफी विवादों में आ गई है। जानकारी के मुताबिकअब देसी शराब निर्माताओं के लिए अब 26% शीरा आरक्षित होगा। अभी तक शराब निर्माताओं के लिए 20% शीरा आरक्षित करने का नियम था। यह बदलाव आबकारी विभाग ने 2023-24 के लिए तैयार की गई नई शीरा नीति में किए हैं, जिस पर कैबिनेट ने मुहर लगा दी है।
आबकारी विभाग द्वारा जो नई नीति घोषित की गई है उसमें सबसे बड़ा सवाल यह पैदा हुआ है की ज्यादा से ज्यादा शराब कंपनियां 42.8 की स्ट्रेंथ वाली देशी शराब केवल मिलेटस (अनाज) से बनाती हैं जो यूपी में उत्पादित कुल देशी शराब का 40 % है मतलब कल तैयार होने वाली देसी शराब का 40% शराब अनाज से तैयार होती है । ऐसे में देसी शराब बनाने वाली कंपनियों को आवंटित होने वाले शीरे में कटौती क्यों नहीं की गई। नई शीरा नीति में आसवनियो को आवंटित शीरे में कटौती के बजाय और अधिक आवंटन क्यो किया जा रहा है।
चीनी मिल प्रबंधन मानते हैं शीरा नीति शराब कारोबारी के पक्ष में
कई चीनी मिल के प्रबंधन ने दबी जुबान स्वीकार किया है कि नई शीरा नीति शराब माफियाओं के पक्ष में बनी है। इस नीति से गन्ना किसानों को और चीनी मिलों को कोई फायदा नहीं होगा। नाम न छापने की शर्त पर चीनी मिल से जुड़े एक बड़े अधिकारी ने बताया कि यदि देसी शराब उत्पादन के नाम पर यदि डिस्टलरी को खुले बाजार में ₹1100 प्रति क्विंटल बिकने वाले शीरे को चीनी मिलों को शराब कारोबारी को मात्र ₹100 प्रति क्विंटल की दर से देना पड़ रहा है जबकि आवंटित शीरे से शराब कंपनियों विदेशी मदिरा बना रही हैं और मोटा मुनाफा कमा रही हैं। यदि यही शीरा चीनी मिलों को फ्री सेल करने का मौका मिलता तो गन्ना किसानो को एडवांस भुगतान किया जा सकता था और चीनी मिले भी नुकसान से उबर सकती थी।
कमिश्नर रोड सचिव तक पहुंचता है हजारों करोड़ रुपए का चढ़ावा
रेडिको और आईजीएल जैसी बड़ी शराब कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए कमिश्नर सेंथिल पांडियन सी बिन रात एक किए हुए है। चर्चा पर विश्वास करें तो वर्तमान आबकारी कमिश्नर ghaziabad स्थित अपने आवास पर शराब कारोबारी के साथ लंबी मीटिंग करने के बाद नई आबकारी नीति का ड्राफ्ट तैयार किया। इस आबकारी नीति को शासन से स्वीकृति दिलाने के बदले में हजारों करोड़ की डील हुई है। कहां तो यह भी जा रहा है कि शराब कारोबारी ग्रुप रेडिको जिसके कमिश्नर काफी करीबी बताए जा रहे हैं इस ग्रुप ने कमिश्नर का फेवर पाने के दिल खोल कर ओब्लाइज किया है।
1078 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी की जांच ठंडे बस्ते में
वर्तमान कमिश्नर भी शराब माफिया को राहत पहुंचाने के लिए अपने पद का दुरुपयोग करने में कहीं से पीछे नहीं है। अभी हाल ही मे कैग ने अपनी रिपोर्ट में शराब कारोबारी रेडी को ग्रुप पर 1000 करोड़ से अधिक की टैक्स चोरी का आरो लगाया था लेकिन उस संबंध में विभाग की ओर से पूरी उदासीनता बरती जा रही है।
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