अवधभूमि

हिंदी न्यूज़, हिंदी समाचार

पुलिस का सनसनी खेज खुलासा :

नवाबगंज स्थित डिस्टलरी में 85 हजार लीटर ईएनए कि बनी अवैध शराब, फर्जी गेटपासके जरिए हुए निकासी:

लखनऊ। गोंडा जनपद के नवाबगंज स्थित स्टार लाइट ब्रोकम डिस्टिलरी से  कथित रूप से गोदाम संख्या 13 और टैंक संख्या दो से बह गए 27610 लीटर ईएनए तथा अवैध रूप से ऑफलाइन परमिट के जरिए नौगांव मध्य प्रदेश स्थित डिस्टलरी से आयात किए गए 58000 लीटर ईएनए से  करीब 2 लाख लीटर देसी शराब बनाकर फर्जी गेट पास के जरिए स्टरलाइट डिस्टिलरी के गोदाम  तक पहुंची  और इस गोदाम के जरिए ही और इस गोदाम के जरिए ही गोंडा जनपद की  लाइसेसी दुकानों के माध्यम से बिक्री की गई। पुलिस के दावे में इसलिए भी सत्यता प्रतीत हो रही है क्योंकि जनपद के सहायक आबकारी आयुक्त प्रगल्भ लवानिया ने जनपद के सभी देसी शराब की गोदाम पर ग्रेन ईएनए से  बनने वाली देसी शराब का ही इंडेंट लगाने का दबाव बना रखा था।  कहां जा रहा है कि स्टार लाइट डिस्टलरी की  ग्रेन स्पिरिट से बनी अवैध शराब को जनपद में खपाने के लिए देसी शराब के गोदाम का इस्तेमाल किया गया। इस काम में सहायक आबकारी आयुक्त की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। पुलिस ने दावा किया है कि मध्य प्रदेश के नौगांव से आयात किया गया ईएनए दो टैंकर के माध्यम से मध्य प्रदेश से गोंडा तक 7 टोल पार किया और 6 जून 2024 को ही नवाबगंज स्थित डिस्टलरी में ले जाया गया। पुलिस की माने तो यह घोटाला ऑफलाइन परमिट जारी करने वाले तत्कालीन डिप्टी एक्साइज कमिश्नर देवीपाटन मंडल तथा वर्तमान में ज्वाइन्ट एक्साइज कमिश्नर लखनऊ दिलीप कुमार मणि त्रिपाठी, वर्तमान डिप्टी एक्साइज कमिश्नर आलोक कुमार , गोंडा जनपद के सहायक आबकारी आयुक्त प्रगल्भ लवानिया डिस्टलरी में तैनात सहायक आबकारी आयुक्त रामप्रीत चौहान तथा पूर्व जॉइंट एक्साइज कमिश्नर ईआईबी जैनेन्द्र उपाध्याय तथा जनपद के सहायक आबकारी आयुक्त (प्रवर्तन ) की मिली भगत स्पष्ट दिखाई दे रही है। इस प्रकरण में मुख्यालय में  तैनात रहे पूर्व फर्जी जॉइंट डायरेक्टर स्टेटिक जोगिंदर सिंह की भी बड़ी भूमिका रही है।

डिप्टी एक्साइज आलोक कुमार की भूमिका

डिप्टी एक्साइज आलोक कुमार की भूमिका इसलिए सवालों के घेरे में है क्योंकि जून में ही जब उन्होंने डिप्टी एक्साइज कमिश्नर देवीपाटन मंडल का चार्ज लिया था तभी उनको पता चल गया था कि स्टार लाइट डिस्टलरी को अवैध रूप से ऑफलाइन 58000 लीटर ईएनए आजाद करने का परमिट जारी किया गया था ऐसे में सवाल उठता है कि इस फर्जी वाले की सूचना उन्होंने आबकारी मुख्यालय में क्यों नहीं भेजी। दूसरा और अहम सवाल यह उठता है कि जब ऑनलाइन परमिट एक्सपायर हो गया और जून में ऑफलाइन परमिट जारी किया गया और ऑफलाइन परमिट जारी होने के 90 दिन बाद  अगस्त महीने में जब स्टार लाइट डिस्टलरी से  गेट पास सत्यापित नहीं हुआ तो तुरंत कार्रवाई क्यों नहीं की गई। एक और सवाल यह खड़ा होता है कि उन्होंने 10 अक्टूबर 2024 को  आबकारी मुख्यालय में डिस्टलरी के गोदाम संख्या दो और टैंक संख्या 13 से 27610 लीटर ईएनए लीक कर बह  जाने की निरीक्षण आख्या भेजी तो 58000 लीटरईएनए जो की जून महीने में ही गबन हो गया था इसका जिक्र क्यों नहीं किया और इसकी फिर 27610 लीटर ईएनए प्रकरण के साथ प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज कराई।

दिलीप मणि त्रिपाठी की भूमिका:

तत्कालीन डिप्टी एक्साइड कमिश्नर जो वर्तमान में जॉइंट एक्साइड कमिश्नर लखनऊ है उन्होंने ऑनलाइन परमिट एक्सपायर होने पर डिस्टलरी में तैनात सहायक आबकारी आयुक्त राम प्रीत चौहान से स्पष्टीकरण क्यों नहीं मांगा और ऑनलाइन परमिट एक्सपायर होने पर उन्होंने ऑफलाइन परमिट अवैध रूप से क्यों जारी किया।

अरविंद कुमार राय की भूमिका:

तत्कालीन ज्वाइंट एक्साइज कमिश्नर टास्क फोर्स रहे अरविंद कुमार राय जो कि वर्तमान में एडिशनल एक्साइज कमिश्नर लाइसेंस हैं, की भी भूमिका संदिग्ध है क्योंकि ट्रैक और ट्रैस सिस्टम के अनुसार फर्जी गेट पास के जरिए डिस्टलरी से ट्रक गुजरते रहे और टास्क फोर्स को भनक तक नहीं लगी यह कैसे संभव है। डिस्टलरी में तैनात रामप्रीत चौहान की भूमिका की जांच क्यों नहीं हुई।

प्रगल्भ लवानिया की भूमिका:

इस प्रकरण में जिला सहायक आबकारी आयुक्त लवानिया भी अपने उत्तरदायित्व से नहीं बच सकते। डिस्टलरी से लाखों लीटर शराब निकालकर अवैध रूप से बेची गई गोंडा जनपद के अलावा बाराबंकी लखनऊ और हरदोई जनपद में भी यह शराब बेची गई।

जोगिंदर सिंह की भूमिका

जनपद मुख्यालय में फर्जी जॉइंट डायरेक्टर के रूप में तैनात रहे जोगिंदर सिंह की भूमिका भी सवालों के घेरे में है क्योंकि उन्होंने इस डिस्टलरी के शराब उत्पादन संबंधी फर्जी आंकड़े जारी किए। और घोटाले बाजों का साथ दिया।

फिलहाल इस मामले में आलोक कुमार ने अपनी जांच आख्या में आबकारी मुख्यालय को जहां गुमराह किया वहीं घोटाले बाजों के साथ मिली भगत भी की। फिलहाल इस मामले की शासन स्तर पर जांच होनी चाहिए।

About Author