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लखनऊ। उत्तर प्रदेश की आबकारी नीति शराब माफियाओं के सिंडिकेट को मजबूत बनाने के लिए तैयार की गई है अब यह स्पष्ट होने लगा है। विभाग के भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि कई महीना पहले ही आबकारी विभाग के प्रमुख अधिकारियों और शराब माफिया के बीच बैठक हो चुकी थी और उसी में शराब माफिया के सुझाव पर कंपोजिट दुकान का कॉन्सेप्ट लाया गया। कंपोजिट दुकान इसलिए लाई गई ताकि अधिक लाइसेंस फीस और आवेदन फीस होने की वजह से मध्यम वर्ग का व्यक्ति फार्म डालने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। ऐसी आशंका को अब बल मिला है क्योंकि पिछले तीन दिनों से जारी रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में ऐसे सैकड़ो हजारों नाम सामने आ रहे हैं जिनका इस व्यवसाय से कभी दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं था। बताया जा रहा है कि प्रमुख शराब व्यापारी वेव ग्रुप जिसका पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दबदबा रहा है उसने ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद से लेकर आगरा तक हजारों की संख्या में अपने लोगों से ई पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कर रखा है। कहां जा रहा है कि इसमें तमाम ऐसे लोग हैं जिन्होंने कभी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल ही नहीं किया है। इनके खाते में आवेदन फॉर्म के लिए पैसे डाले जाएंगे और बाद में लाइसेंस फीस और सॉल्वेंसी का भी जुगाड़ किया जाएगा।
वाइन और बीयर की कंपोजिट दुकान को लेकर बवाल भी शुरू हो गया है। सिविल सोसाइटी के लोग इसका विरोध शुरू कर चुके हैं। बताया जा रहा है कि बनारस में भारतीय जनता पार्टी के एक विधायक ने इस मामले में शिकायत की है। लोगों को आशंका है कि कंपोजिट दुकान मॉडल साहब जैसी चलने लगेगी लोग यहीं पर बैठकर पियेंगे और बवाल करेंगे।
आबकारी विभाग ने ई लॉटरी की घोषणा के बाद दावा किया था कि इसमें नए लोगों को रोजगार मिलेंगे लेकिन उसका यह दवा धराशायी होता दिखाई दे रहा है। पंजाब हरियाणा उत्तराखंड दिल्ली मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ बिहार और झारखंड के भी लोग भी पोर्टल पर रजिस्टर्ड हो रहे हैं। कहा जा रहा है कि हवाला और बड़ी मात्रा में काला धन रखने वाले माफिया भी आबकारी विभाग की इस लॉटरी में अपना काला सफेद करने से बाज नहीं आएंगे। आबकारी विभाग को केवल पैसे से मतलब है उसे इस बात से कोई मतलब नहीं है कि इस कारोबार में अंतरराष्ट्रीय माफिया की भी एंट्री हो जाएगी।
दवा तो यहां तक किया जा रहा है कि नोएडा कानपुर गाजियाबाद लखनऊ प्रयागराज वाराणसी गाजीपुर गोरखपुर गोंडा बस्ती आजमगढ़ जैसे जिलों में कई इंस्पेक्टर और आबकारी विभाग के बड़े अधिकारी भी कंपोजिट दुकानों के लिए अपने लोगों को पोर्टल पर रजिस्टर्ड कर रहे हैं और कहां जा रहा है कि बाराबंकी और अयोध्या में एक इंस्पेक्टर की कई दुकानें हैं वह खुद से इस लॉटरी प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है।
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