
प्रयागराज। अपने कारनामो के लिए पहले ही मशहूर हो चुके डिप्टी एक्साइज कमिश्नर प्रदीप दुबे एक बार फिर सुर्खियों में आ गए हैं। आबकारी विभाग के सूत्रों ने दावा किया है कि डिप्टी एक्साइज कमिश्नर अवैध रूप से प्रभारी जॉइंट डायरेक्टर स्टैटिक के रूप में आदेश जारी कर रहे हैं जबकि यह पद आबकारी विभाग में आज तक सृजित नहीं हुआ है और पूर्व में इस पद पर कार्य कर चुके जोगिंदर सिंह की नियुक्ति भी सवालों के घेरे में रही है। और यह भी पता चला है कि जोगिंदर सिंह की सेवा निवृत्ति के पश्चात ही यह पद समाप्त हो चुका है तथा अब जो भी नियुक्ति होगी वह मूल पोस्ट यानी जिला सांख्यिकी अधिकारी पद पर होगी। मनमानी का चरम यह है कि प्रदीप दुबे को इस पद पर अतिरिक्त प्रभार के संबंध में शासन स्तर से किसी प्रकार की कोई मंजूरी भी नहीं ली गई और ना ही लिखित रूप से कोई आदेश जारी किया गया है। ऐसे में प्रदीप दुबे स्वयं अपने आप को जॉइंट डायरेक्टर स्टैटिक घोषित कर आदेश जारी कर रहे हैं। यह अपने आप में बेहद गंभीर प्रकरण है जिस व्यक्ति की नियम अनुसार नियुक्ति नहीं है उसके आदेश का किस तरह से पालन हो रहा है। कहा जा रहा है कि यह भी भ्रष्टाचार का अध्याय कमिश्नर आदर्श सिंह ने लिखा है। उनके मौखिक आदेश पर प्रदीप दुबे अपने आप को जॉइंट डायरेक्टर स्टैटिक घोषित कर चुके हैं। यह वही आदर्श सिंह है जिनको लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार का दोषी माना है और अपनी रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर रखी है।
यह भी खबर आ रही है कि आदर्श सिंह ने प्राविधिक में भी एक फर्जी पोस्ट क्रिएट कर दी है और इस पर मौखिक रूप से डिप्टी एक्साइज कमिश्नर इलाहाबाद को तैनात किया है डिप्टी एक्साइज कमिश्नर राजेंद्र प्रसाद ने स्वयं को डिप्टी एक्साइज कमिश्नर प्राविधिक घोषित कर रखा है। प्राविधिक विभाग में डिप्टी एक्साइज कमिश्नर प्राविधिक के रूप में राजेंद्र प्रसाद के हस्ताक्षर से कई आदेश जारी हो रहे हैं। आदर्श सिंह को किसी प्रकार के नियम और शासनादेश की कोई परवाह नहीं है।
बताया जा रहा है कि इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री और विभाग के मंत्री से की गई है।
मंत्री को पता ही नहीं विभाग ने कर ली तैनाती:
आबकारी आयुक्त आदर्श सिंह ने मंत्री के अधिकारों को ठेंगा दिखाते हुए मनमानी और अराजकता करने के लिए का मौखिक आदेश देकर जॉइनिंग करा दी और कहा जा रहा है कि प्रदीप दुबे के माध्यम से ही इस समय वसूली का भी खेल चल रहा है। सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण सवाल यह है कि यदि प्रदीप दुबे तथा कथित जॉइंट डायरेक्टर स्टैटिक बन गए हैं तो वाराणसी मंडल का डिप्टी साइज कमिश्नर कौन है। यदि प्रदीप दुबे को एडिशनल चार्ज दिया गया तो इसकी मंजूरी शासन और मंत्री स्तर से क्यों नहीं ली गई। एक और महत्वपूर्ण सवाल लिया है क विभाग का सांख्यिकी अधिकारी का पद संख्या निदेशालय के माध्यम से भरा जाता है फिर ऐसे में किस अधिकार और हैसियत से आबकारी आयुक्त ने यहां पर डिप्टी एक्साइज कमिश्नर को प्रभारी ज्वाइन डायरेक्टर बना दिया जो पद वर्तमान में है ही नहीं। इस पूरे प्रकरण की जांच होने वाली है इसके बाद कमिश्नर और प्रमुख सचिव पर भी गाज गिरना तय माना जा रहा है।

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