जॉइंट डायरेक्टर स्टैटिक बनाए गए:
नियुक्ति सवालों के घेरे में:
लखनऊ। आबकारी विभाग में तैनाद अधिकारियों की योग्यता पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। आबकारी आयुक्त जो की लगातार विभागों और चर्चा में रहे हैं उन्होंने अपने मौखिक आदेश पर एक ऐसी पोस्टिंग की है जिसको लेकर पूरे विभाग की फजीहत हो सकती है। 30 नवंबर को रिटायर हुए सांख्यिकी विभाग के तथाकथित जॉइंट डायरेक्टर स्टैटिक जोगिंदर सिंह के स्थान पर डिप्टी एक्साइज कमिश्नर वाराणसी प्रदीप दुबे को तैनाती दी गई। प्रदीप दुबे को पहनती किसने दी । की तैनाती के लिए शासन से मंजूरी ली गई या नहीं। इसका जवाब किसी के पास नहीं है। इसबीच प्रदीप दुबे के हस्ताक्षर से जारी एक पत्र इस समय चर्चा में है। पत्र को प्रदीप दुबे ने जॉइंट डायरेक्टर सांख्यिकी के रूप में जारी किया है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या उनका विभाग बदल दिया गया है। यह सवाल इसलिए खड़ा हुआ है क्योंकि आबकारी के सांख्यिकी विभाग में किसी भी नियुक्ति का नियोक्ता सांख्यिकी निदेशालय होता है। एक और बड़ी दुविधा यह खड़ी हो गई है कि क्या वर्तमान में प्रदीप दुबे डिप्टी एक्साइज कमिश्नर वाराणसी है या नहीं क्योंकि उनकी मूल रूप से पोस्टिंग अब सांख्यिकी निदेशालय में दिखाई जा रही है।
नियुक्ति को लेकर फंसा आबकारी विभाग:
सांख्यिकी विभाग में जोगिंदर सिंह के रिटायरमेंट के बाद आबकारी विभाग बुरी तरह फस गया है। बता दे की सांख्यिकी विभाग में शासन स्तर से सहायक संस्कृति अधिकारी का एकमात्र पद स्वीकृत है किंतु 1992 में जोगिंदर सिंह की नियुक्ति के बाद इस पोस्ट को अपग्रेड करते हुए वरिष्ठ सांख्यिकी अधिकारी बनाया गया और सहायक सांख्यिकी अधिकारी का मूल पद समाप्त कर दिया गया। 2015 में इसी पद को फिर अपग्रेड किया गया और इस ज्वाइंट डायरेक्टर का पद मान गया तथा वरिष्ठ सांख्यिकी अधिकारी का पद समाप्त कर दिया गया। सबसे बड़ा पेच यह फस गया है कि वरिष्ठ सांख्यिकी अधिकारी के पद को जॉइंट डायरेक्टर सांख्यिकी के रूप में अपग्रेड करते समय यह शर्त रखी गई थी कि जोगिंदर सिंह के अवकाश के साथ ही जॉइंट डायरेक्टर स्टैटिक का पद समाप्त हो जाएगा। उसके बाद से ही आबकारी विभाग की मुसीबतें बढ़ गई है। मुसीबत इसलिए बढ़ गई है क्योंकि वर्तमान में आबकारी विभाग में सांख्यिकी में कोई भी पद शून्य है क्योंकि सहायक सांख्यिकी अधिकारी वरिष्ठ सांख्यिकी अधिकारी और ज्वाइंट डायरेक्टर स्टैटिक के पद विलोपित किया जा चुके हैं। पद का विलोपन और सृजन मन माने ढंग से हुआ है और इसके लिए नियमों का पालन नहीं किया गया है। यही वजह है कि पद शून्य होने के बाद भी विभाग द्वारा यूपीएससी में वैकेंसी की सूचना नहीं दी जा रही है। विभाग अपने ही अधिकारियों के माध्यम से अवैध रूप से सांख्यिकी के आंकड़े जारी कर रहा है जो देर सवेर गले की पास बनने वाला है।
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