कमिश्नर और शासन के अधिकारियों को चांदी का जूता मार कर मुख्यालय में लगातार 32 वर्षों से रहा है कार्यरत:
प्रयागराज। पहले बाबू और सब इंस्पेक्टर से इंस्पेक्टर के पद पर प्रोन्नति में घपला हुआ और अब पदोन्नति पाने वाले इंस्पेक्टर की पोस्टिंग में भी करोड़ों की वसूली हुई है। यह वसूली स्वयं कमिश्नर और शासन स्तर पर होने की सूचना है। वसूली की बात में इसलिए भी दम लग रहा है क्योंकि बहुत ही मनमाने ढंग से पोस्टिंग की गई है और पोस्टिंग में अराजकता और अनियमितता की सारी सीमा पार कर लिया गया है। सबसे ज्यादा चर्चा में मुख्यालय का एक नाम राजकुमार यादव का सामने आ रहा है पता चला है कि यह दिव्य प्रकाश गिरी का खास शिष्य है और कमिश्नर भी इसके ऊपर कृपालु हैं। इतना ही नहीं सूचना यह भी है कि लाखों रुपया देकर राजकुमार यादव ने अपनी नियुक्ति अपने मनपसंद मुख्यालय के कार्मिक विभाग में कराई है। राजकुमार यादव 1992 में सिपाही के पद पर भर्ती हुआ था और उसकी तैनाती कार्मिक विभाग में की गई थी। सिपाही के रूप में 5 वर्ष की सेवा के बाद 1997 में लिपिक पद पर प्रोन्नति हुई और उसे समय भी या पैसे के दम पर कार्मिक विभाग में ही अपनी तैनाती पाने में सफल रहा। अब तो हद हो गई है और राजकुमार यादव कार्मिक में ही 27 वर्ष की सेवा लिपिक के रूप में पूर्ण करते हुए निरीक्षक के पद पर प्रोन्नत हुआ और पैसे के दम पर कहा जा रहा है लाखों रुपया खर्च किया है और दिव्या प्रकाश गिरी तथा कमिश्नर आदर्श सिंह ने राजकुमार यादव की नियुक्ति कार्मिक विभाग में ही कर दिया है।
क्यों हुई राजकुमार यादव की कार्मिक विभाग में नियुक्ति:
32 वर्षों से राजकुमार यादव कार्मिक विभाग से हिला नहीं है। जाने कितनी सरकारी आई और गई जाने कितने अधिकारी आए और गए लेकिन कोई भी राज कुमार यादव का बाल बांका नहीं कर पाया । अवध भूमि न्यूज़ में इसकी तह में जाने की कोशिश की तो पता चला कि आबकारी मुख्यालय में एडिशनल कमिश्नर कमिश्नर और विशेष सचिव तक के लिए यही राजकुमार वसूली करता है इसीलिए यह शासन से लेकर विभाग तक सबका लाड़ला है। खबर तो यह तक है कि यह दिव्य प्रकाश गिरी जो इस समय शासन में विशेष सचिव है जब आबकारी मुख्यालय में एडिशनल कमिश्नर हुआ करता था तो यही राजकुमार यादव उसके लिए वसूली करता था और उसका सबसे भरोसेमंद था। राजकुमार यादव इस समय आदर्श सिंह के लिए भी वसूली करता है और उनका सबसे खास है कहा जाता है कि राजकुमार यादव के बिना आबकारी मुख्यालय में कोई पत्ता भी नहीं हिलता । सरकार को आबकारी मुख्यालय के सभी ट्रांसफर पोस्टिंग की शासन स्तर से जांच करानी चाहिए जिससे इस बड़े घोटाले का पर्दाफाश हो सके।
देखना है की मुबारक अली सहायक आबकारी आयुक्त कार्मिक जो की 8 साल पहले भी यहां इंस्पेक्टर के रूप में तैनात रह चुका है वसूली के आरोप में हटाया गया था दोबारा कमिश्नर और दिव्य प्रकाश गिरी की वसूली के लिए तैनात किया गया और पिछले 10 सालों से प्रसेन राय का ट्रांसफर नहीं हुआ जबकि 32 वर्षों से राजकुमार यादव अपनी पूरी सेवा यही कार्मिक में ही दे रहा है लगता है यहीं से विभाग उसे रिटायर भी करेगा।
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