भेड़िए को बचाने के लिए भेड़ों की बलि:
आगरा में ओवर रेटिंग की वसूली करने के गंभीर आरोप में शुरू हो गई लीपा पोती
आगरा। आगरा में सेक्टर 4 और सेक्टर 2 में सभी लाइसेंसी दुकानों से हर महीने 1000 से ढाई हजार के बीच आबकारी विभाग की वसूली का पर्दा फास होने के बाद इस मामले की जांच में भी वसूली की खबर है। कहां जा रहा है कि जिन सिपाहियों को पूछताछ के लिए बुलाया गया उन्हें तभी राहत मिली है जब उन्होंने कुछ मुद्रीकरण की नीति अपनाई।
जांच कमेटी को लीड कर रहे परिवर्तन के सहायक आबकारी आयुक्त धर्मेंद्र नारायण ने बताया कि पांच सिपाही और एक प्रधान आरक्षित को निलंबित किया गया है लेकिन उन्होंने यह भी बताया कि वसूली के आरोप में उन्हें निलंबित नहीं किया गया है। धर्मेंद्र नारायण ने बेहद ही हास्यास्पद कारण बताते हुए कहा कि यह सिपाही किसी पार्क में शराब पीते हुए पाए गए थे। हास्यास्पद इसलिए है क्योंकि मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद के आदेश पर यह जांच शुरू हुई थी। जांच का पूरी तरह मजाक बनाते हुए वसूली मामले में अब तक किसी भी आरोपी सिपाही के खिलाफ कोई भी अभियोग पत्र दाखिल नहीं किया गया। कहां जा रहा है कि अब तक 55 से ज्यादा सिपाहियों से पूछताछ हुई है और उनसे भी वसूली हुई है। जांच अधिकारी यह बताने में असफल रहे हैं कि उन्होंने सेक्टर दो और सेक्टर 4 के पर्यवेक्षण अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की। इस पूरे प्रकरण में ओवर रेटिंग और अवैध शराब की बिक्री और उत्पादन रोकना स्वयं प्रवर्तन विभाग के सहायक आबकारी आयुक्त की जिम्मेदारी थी ऐसे में उनके खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय संयुक्त आबकारी आयुक्त ने उन्हें जांच कैसे दे दी। इस मामले में आरोपी सर्किल इंस्पेक्टर और सहायक आबकारी आयुक्त की भूमिका की जांच क्यों नहीं की गई। यह ऐसे सवाल हैं जिसका कोई भी जवाब आबकारी विभाग के पास नहीं है।
चर्चा के मुताबिक आगरा जनपद में ओवर रेटिंग डाइल्यूशन और शराब तस्करी करने वाले लोगों से हर महीने करीब 50 लख रुपए की वसूली होती है। लग रहा है की प्रमुख सचिव गृह का आदेश भी मजाक बनकर रह जाएगा।
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