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लैब में वसूली:   एडिशनल कमिश्नर सवालों के घेरे में:

लखनऊ। डिस्टलरी चीनी मिल फार्मास्यूटिकल कंपनी से जो हर महीने करोड़ की वसूली हो रही है वह दरअसल एडिशनल कमिश्नर ज्ञानेश्वर त्रिपाठी के संरक्षण में हो रहा है। पता चला है कि अनिल वर्मा वसूली का बहुत मोटा हिस्सा एडिशनल कमिश्नर को देता है इस बात की खुले आम चर्चा है। कहां जा रहा है कि डिस्टलरी के मुआयना के लिए पत्रावली ज्ञानेश्वर त्रिपाठी अपने ऑफिस में मंगाया करते हैं और उस पर स्वयं अपने हाथों से अनिल वर्मा के मुआयना का आदेश लिखते थे: इसकी पुष्टि तो तभी होगी जब मुआयना संबंधी सभी आदेश पत्रावली की जांच हो। फिलहाल ज्ञानेश्वर त्रिपाठी और अनिल वर्मा की नजदीकी को लेकर खासी चर्चा है।

अनिल वर्मा के लिए टकराई चुनाव आयोग से ज्ञानेश्वर त्रिपाठी:

एडिशनल कमिश्नर ज्ञानेश्वर त्रिपाठी इसलिए भी सवालों के घेरे में हैं क्योंकि उन्होंने अनिल वर्मा के ट्रांसफर को लेकर चुनाव आयोग के निर्देश को भी दरकिनार कर दिया। दरअसल चुनाव आयोग ने एक शिकायत के बाद आबकारी विभाग के कार्मिक को एक पत्र लिखा था जिसमें अनिल वर्मा की मेरठ और लखनऊ लैब में तैनाती की अवधि का विवरण मांगा था लेकिन एडिशनल कमिश्नर ज्ञानेश्वर त्रिपाठी ने चुनाव आयोग के इस पत्र का कोई जवाब नहीं दिया और अपने  खास अनिल वर्मा की कुर्सी सलामत रखी। बता दें कि ज्ञानेश्वर त्रिपाठी 95 डिस्टलरी का मुआयना अनिल वर्मा से करवाते हैं वहीं प्रयागराज और गोरखपुर में तैनात लैब टेक्नोलॉजिस्ट से मात्र पांच या 6 डिस्टलरी का मुआयना करवाते हैं।   लोग तो यहां तक कह रहे हैं कि एडिशनल कमिश्नर का लखनऊ में जो नवनिर्मित शीश महल बन रहा है उसकी भी देखभाल का जुम्मा अनिल वर्मा के पास ही है।

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