प्रतापगढ़। महा भ्रष्ट मुख्य चिकित्सा अधिकारी गिरेन्द्र मोहन शुक्ला और डीसीपीएम मोहम्मद नाजिम का केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य योजनाओं के फंड में लूट का अभियान जारी है।
मिली जानकारी के मुताबिक जनपद में आचार संहिता प्रभावित होने के बावजूद 91 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों की तैनाती में लाखों रुपए की वसूली हुई है। वसूली गई धन राशि की बंदर बांट मुख्य चिकित्सा अधिकारी और डीसी पीएम के अलावा डीपीएम और सीएमओ के स्टेनो के बीच हुई है। खबर मिली है कि प्रत्येक सी एच ओ की तैनाती पर न्यूनतम 20000 से लेकर ₹75000 तक की वसूली हुई इस प्रकार सभी 91 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों की जॉइनिंग के बदले 2000000 रुपए से अधिक की वसूली की गई।
कागज पर चल रहे अधिकांश वैलनेस सेंटर
केंद्र सरकार द्वारा आयुष्मान हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर की स्थापना जनपद में 261 केंद्रों पर की गई। योजना का उद्देश्य वैलनेस सेंटर के आसपास के ग्रामीण इलाकों में टीवी शुगर ब्लड प्रेशर और कुपोषण के शिकार बच्चों महिलाओं और लोगों की पहचान करना और उनके इलाज में मदद करना था लेकिन भ्रष्ट मुख्य चिकित्सा अधिकारी और डीसी पीएम मोहम्मद नाजिम ने करोड़ों रुपए इस योजना का डकार लिया वर्तमान समय में जनपद में कागज पर ही वैलनेस सेंटर चल रहे हैं और सरकार की योजना को पलीता लगाया जा रहा है।
सेंटरों पर रजिस्टर में फर्जी मरीजों का पंजीकरण इलाज और दवाएं दी जा रही है
केंद्र सरकार के आयुष्मान हेल्थ एवं वैलनेस सेंटर पर किस प्रकार की लूट मची हुई है इसे देखना हो तो केंद्रों पर जाकर देखा जा सकता है। केंद्रों पर सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी नदारद रहते हैं जबकि डीसी पीएम द्वारा फर्जी मरीजों और उनके इलाज पर करोड़ों रुपए के खर्च का ब्यावरा लगातार एनएचएम में भेजा जा रहा है।
सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी घर बैठे ले रहे मानदेय और इंसेंटिव
कुंडा और रामपुर संग्रामगढ़ को छोड़कर सभी ब्लाकों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर जो भी सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी तैनात किए गए हैं उनका कहीं अता पता नहीं है घर बैठे उन्हें तनख्वाह मिल रही है कहा जा रहा है कि ऐसे सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी जो स्थापित सेंटरों पर ड्यूटी नहीं करना चाहते वह ₹15000 मंथली डीसीटीएम को देकर घर बैठ सकते हैं और घर बैठे मानदेय ले सकते हैं। कहां जा रहा है कि प्रतिमाह 17 से 18 लाख रुपए सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों के मानदेय से वसूली की जाती है और बदले में उन्हें घर बैठने की छूट दी जाती है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी सेंटर पर रहते ही नहीं तो वैलनेस सेंटर पर मरीजों के इलाज में कौन मदद कर रहा है। मरीजों के इलाज पर दवाएं और अन्य खर्चे क्यों किए जा रहे हैं। कागज पर फर्जी मरीजों का आंकड़ा क्यों तैयार किया जा रहा है इसका कोई जवाब डीसीपीएम देने की स्थिति में नहीं है।
देसी पीएम नाजिम ने कहा वह सीएमओ के आदेश का पालन करते हैं
इस बाबत जब भी डीसीपीएम से बात की गई तो उन्होंने कुछ भी जानकारी होने से इनकार किया। उनसे जब वैलनेस सेंटर की संख्या और वहां तैनात स्वास्थ्य अधिकारियों की सूची मांगी गई तो वह कुछ भी बताने को तैयार नहीं हुए सभी सवालों के जवाब में उन्होंने कहा सुबह मुख्य चिकित्सा अधिकारी गिरेंद्र मोहन शुक्ला के आदेशों का पालन करते हैं मीडिया को जो भी सवाल पूछना है वह सीएमओ से पूछे।
डीपीएम ने कहा
वैलनेस सेंटर स्थापित होने और वहां स्वास्थ्य अधिकारियों की तैनाती के संबंध में उनसे कोई राय नहीं ली जाती
इस संबंध में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि कोई भी निर्णय में उनकी राय नहीं ली जाती जो भी फैसले होते हैं वह मुख्य चिकित्सा अधिकारी और डीसीबीएम के स्तर पर होते हैं इसलिए इस पर वह कुछ नहीं कह सकते।
कुल मिलाकर आयुष्मान हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर प्रतापगढ़ जनपद में अंतिम सांस ले रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह महत्वाकांक्षी योजना जिले में दम तोड़ रही है।
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