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आबकारी आयुक्त के संरक्षण में डिजिटल अल्कोहल मीटर की खरीद में हुआ करोड़ों रुपए का घोटाला: फर्जी जॉइंट डायरेक्टर जोगिंदर सिंह का जेल जाना तय

प्रयागराज। आबकारी आयुक्त सेंथिल पांडियन सी जिनका विश्व व्यापार संगठन में तबादला हो गया है उन्होंने विभाग से रिलीव होने से पहले करोड़ों रुपए के डिजिटल अल्कोहल मीटर खरीद में घोटाले की साजिश रची है। मिली जानकारी के मुताबिक 2022 में लगभग 100 डिजिटल अल्कोहल मीटर एंटन पार नाम की कंपनी से विभाग के लिए खरीद को मंजूरी दी। बताया जा रहा है कि जो डिजिटल अल्कोहल मीटर आबकारी विभाग द्वारा खरीदा गया है वह बाजार भाव से तीन गुणा महंगा है। खरीद प्रक्रिया पारदर्शी नहीं रही। इस खरीद में करोड़ों रुपए की बंदर बांट हुई। शुगर फैक्ट्री और डिस्टलरी ने जो डिजिटल अल्कोहल मीटर ₹300000 से कम में खरीदा वही डिजिटल अल्कोहल मीटर आबकारी विभाग द्वारा लगभग ₹500000 में खरीदा गया।

अवध भूमि न्यूज़ की खबर का असर

डिजिटल अल्कोहल मीटर में नियमों का उल्लंघन करते हुए करोड़ों रुपए की राजस्व क्षति पहुंचाने और आपूर्तिकर्ता कंपनी से करोड़ों रुपए की कमीशन वसूली की खबर के बाद विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। मामला शासन स्तर पर संज्ञान में लिए जाने के बाद आबकारी आयुक्त के होश उड़ गए। डिजिटल अल्कोहल मीटर की खरीद के लिए जनवरी महीने में होने वाली निविदा को एक महीने के लिए टाल दिया गया है।

कमिश्नर के आदेश पर सभी शराब फैक्ट्री से एंटन पार कंपनी से खरीदे गए डिजिटल अल्कोहल मीटर के मूल बिल मांगा गया है।

घोटाला शासन के संज्ञान में

डिजिटल अल्कोहल मीटर खरीद में अनियमितता का मामला शासन के संज्ञान में है। प्रमुख सचिव बिना कुमारी मीणा इस पूरे मामले में उच्च स्तरीय जांच का आदेश दे सकती हैं। घोटाले की आंच आबकारी आयुक्त तक जा रही है। इस बीच एडिशनल कमिश्नर के हस्ताक्षर से निविदा प्रक्रिया को मंजूर करवाने के लिए पत्राचार किया जा रहा है।

राजस्थान सरकार ने बहुत कम रेट पर खरीदे डिजिटल अल्कोहल मीटर

मजे की बात यह है कि एंटन पार कंपनी से जो डिजिटल अल्कोहल मीटर आबकारी विभाग इस समय लगभग 5 लख रुपए का खरीदने की तैयारी कर रहा है वही डिजिटल अल्कोहल मीटर राजस्थान और उत्तराखंड सरकार ने बहुत ही कम कीमत पर खरीदे हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही आता है कि आखिर ऐसी क्या वजह है कि आबकारी विभाग के आयुक्त बाजार भाव से दोगुना महंगे डिजिटल अल्कोहल मीटर खरीद को मंजूरी दिए और आगे भी ऐसी ही खरीदारी के लिए बेताब है। इस मामले में आबकारी आयुक्त और कथित जॉइंट डायरेक्टर जोगिंदर सिंह की भूमिका की जांच होनी चाहिए।

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