अवधभूमि

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शिवसागर और मुबारक अली  वसूली को लेकर चर्चा में :

लखनऊ। विभागीय मंत्री नितिन अग्रवाल के दूरस्थ स्थानांतरण के आदेश का मजाक बनाते हुए अधिकारी मुख्यालय में बिना किसी पद के आबकारी आयुक्त की ओर से विभिन्न अधिकारियों के लंबित सुनवाई प्रकरण  में मुबारक अली की सक्रिय भूमिका चर्चा में आ गई है। कमिश्नर की मेहरबानी से मुबारक अली पर साफ़ देखी जा रही है। मुबारक अली ही उनकी तरफ से सभी तरह के  लंबित प्रकरण की सुनवाई कर रहे हैं। बुलंदशहर में सहायक आबकारी आयुक्त के रूप में कोरोना कल में अवैध रूप से शराब की बिक्री करवाने के आरोपी रहे संजय त्रिपाठी जिन्हें मुख्यालय से संबंध कर दिया गया था और बाद में कार्मिक में तैनाती दी गई जहां वसूली प्रकरण के चलते उन्हें प्रतीक्षारत रखा गया और इसके बाद विशेष सचिव दिव्य प्रकाश गिरी का करीबी होने के कारण डालमिया डिस्टलरी में तैनाती दी गई थी। इस मामले में मुबारक अली ने एक बार फिर उनके पुराने आरोप शासन यानी प्रमुख सचिव के संज्ञान में ला दिए हैं और ऐसा लगता है कि जल्द ही बड़ी कार्रवाई हो सकती है। दिव्य प्रकाश गिरी पर एक बार फिर अधिकारियों को ब्लैकमेल कर वसूली के आरोप लगने शुरू हो गए हैं। विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अधिकारियों के पुराने प्रकरण में कार्यवाही की धमकी देकर वसूली शुरू हो गई है जिसकी वजह से एक बार फिर मुबारक अली की मुख्यालय में दहशत व्याप्त हो गई है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या कमिश्नर ने मुबारक अली को ऐसा करने की छूट दी है। दूसरा और अहम सवाल यह है कि अगर मुबारक अली इस समय प्रतीक्षारत है तो उन्हें बिना काम के वेतन कैसे दिया जा रहा है। तीसरा सवाल यह है की मुबारक अली सहायक आबकारी आयुक्त कार्मिक के साथ अतिरिक्त चार्ज के रूप में एरा डिस्टलरी का काम देख रहे थे जब उनका मूल पद ही नहीं रहा तो अभी तक अतिरिक्त प्रभार कैसे बना हुआ है। इसका सवाल फिलहाल नहीं मिल पा रहा है।

एक दूसरा नाम इस समय चर्चा में है वह नाम आबकारी आयुक्त के निजी सचिव का लिया जा रहा है। बताया जा रहा है कि आयुक्त के निजी सहायक शिवसागर पर इस बात के गंभीर आरोप लग रहे हैं कि कमिश्नर से मिलने के लिए उन्होंने अधिकारियों से ही वसूली शुरू कर दी है। चर्चा तो यहां तक है कि 25 से ₹50000 अब तक वसूला जा रहा है। इसे महेश सहयोग कहा जाए या कुछ और कि जब तक शिवसागर की इच्छा नहीं होती है तब तक कमिश्नर अपने ही विभाग के कर्मचारी निरीक्षक और अधिकारियों से मिलने का समय नहीं देते हैं । कुमार प्रभात चंद्र ने हाल ही में कुछ दौरे किए हैं और माना जा रहा है की ट्रांसफर सीजन से पहले सेटिंग और गेटिंग का काम जारी है।

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