प्रयागराज। उत्तर प्रदेश से बड़े पैमाने पर बिहार झारखंड और छत्तीसगढ़ के लिए शराब तस्करी की जा रही है।
आबकारी मुख्यालय में इस बात की चर्चा है कि शराब तस्करों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई पर अघोषित रूप से रोक लगी हुई है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि महकमें के जो भी अधिकारी शराब तस्करों के खिलाफ अभियान चलाना चाहते हैं या कार्रवाई करते हैं आबकारी मुख्यालय पर उन्हें उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। सूत्रों का कहना है कि आगरा जोन इस समय शराब तस्करों का पसंदीदा ठिकाना बना हुआ है। सूत्रों का कहना है कि कानपुर के रनिया स्थित एक डिस्टलरी में जिसमें इंपिरियल ब्लू जैसी प्रीमियम ब्रांड की बॉटलिंग हो रही है यहां से बड़े पैमाने पर अवैध रूप से शराब तस्करी हो रही है। यह तस्करी आगरा के डिप्टी और ज्वाइंट कमिश्नर की जानकारी में हो रहा है। विभागीय सूत्रों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया है कि शराब तस्करी के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं करने का दबाव आबकारी मुख्यालय से बनाया जा रहा है।
रेवेन्यू बढ़ाने के लिए तस्करों का सहारा ले रहा आबकारी मुख्यालय:
सूत्रों का कहना है कि विभाग के अधिकारियों द्वारा आंकड़ों में हेरा फेरी करते हुए जिस तरह से पिछले वित्तीय वर्ष में 42000 करोड रुपए राजस्व लक्ष्य को प्राप्त करने का दावा किया गया था अब उसकी हवा निकलती दिखाई दे रही है। दरअसल विभाग में अवैध रूप से तैनात एक फर्जी अधिकारी जॉइंट डायरेक्टर स्टेटिक जोगिंदर सिंह ने 34000 करोड़ की वास्तविक आय के सापेक्ष 42000 करोड रुपए का राजस्व लक्ष्य प्राप्त करने का दावा किया था जबकि सच्चाई यह थी जोगिंदर सिंह ने 8000 करोड़ रूपया जो fl2cl2 और लाइसेंसी द्वारा अप्रैल मई और जून के लिए जो अग्रिम रूप से धनराशि जमा की गई थी उसको भी पिछले वर्ष की आय के रूप में दिखाया था अब वही धनराशि जो शराब कारोबारी ने एडवांस में जमा किया था चालू वित्तीय वर्ष में धनराज का समायोजन हो गया जिससे विभाग का राजस्व लगातार गिर रहा है।
आबकारी विभाग द्वारा चालू वित्तीय वर्ष में अपना राजस्व लक्ष्य हासिल करने के लिए कथित रूप से शराब तस्करों का भी सहयोग ले रही है। चर्चा तो यहां तक हो रही है कि एक अनौपचारिक बैठक में आबकारी मुख्यालय के एक शीर्ष अधिकारी ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि यदि ड्यूटी पैड कोई भी शराब कहीं भी जा रही है तो उसे रोक न जाए भले ही वहा अवैध रूप से जा रही है। आबकारी मुख्यालय की रणनीति है कि अगर शराब तस्करी से भी विभाग को अगर राजस्व मिल रहा है तो इसमें कोई बुराई नहीं है।
Pernord ricord group को fl2 और fl3 का लाइसेंस देने से आबकारी मुख्यालय सवालों के घेरे में
विभाग अपने ही आदेशों को ताख पर रखकर एक इंटरनेशनल ग्रुप pernord ricord को उत्तर प्रदेश में इंपीरियल ब्लू जैसी प्रीमियम ब्रांड की बॉटलिंग के लिए जहां fl3 का लाइसेंस दे रखा है। वहीं इसी ग्रुप को उत्तर प्रदेश और हरियाणा पंजाब जैसे राज्यों के लिए बॉन्ड का भी लाइसेंस जारी कर दिया है। बताया जा रहा है कि कानपुर की एक डिस्टलरी जो शराब तस्करी के लिए कुख्यात है वहां इंपिरियल ब्लू जैसे प्रीमियम ब्रांड की बॉटलिंग पंजाब और हरियाणा के बॉन्ड आधारित fl2 के लिए होती है जबकि यह शराब हरियाणा पंजाब ना जाकर बिहार झारखंड और दूसरे राज्यों में चली जा रही है। इस खेल का पता जॉइंट आगरा डिप्टी आगरा समेत आबकारी मुख्यालय को भी है लेकिन किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि एक ही कंपनी को fl3 और fl2 का लाइसेंस क्यों जारी किया गया। डिस्टलरी से ट्रैक और ट्रैक सिस्टम निष्क्रीय क्यों हो गया। पिछले 4 महीने में लखनऊ प्रतापगढ़ प्रयागराज बस्ती आजमगढ़ गोरखपुर जैसे कई इलाकों में शराब तस्करी के कई मामले सामने आए लेकिन विभाग द्वारा अधिकारियों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई। अकेले लखनऊ में ही 80 लख रुपए से अधिक की अवैध शराब एसटीएफ पकड़ी गई फिर भी लखनऊ के जॉइंट और जॉइंट इआईबी पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई। इन तमाम बच्चों को देखते हुए आबकारी मुख्यालय की भूमिका सवालों के घेरे में है।
एसटीएफ की कार्रवाई से पकड़े जा रहे शराब तस्कर:
आबकारी मुख्यालय द्वारा भले ही शराब तस्करों के खिलाफ कार्रवाई में राहत दी गई है लेकिन एसटीएफ ने अपनी ताबड़तोड़ कार्रवाइयों से शराब तस्करों के बीच हड़काम मचा दिया है। पिछले कुछ समय से जितने भी बड़े शराब तस्करी के मामले पकड़े गए हैं वह एसटीएफ के एकल प्रयास से संभव हुए हैं जबकि विभागीय कार्रवाई में एसटीएफ के मुकाबले बहुत ही काम मामले प्रकाश में आए हैं। आबकारी विभाग को लगता है कि झारखंड मध्य प्रदेश और बिहार में शराब तस्करी के जरिए वह आसानी से चालू वित्त वर्ष के राजस्व लक्ष्य को पूरा कर सकते हैं लेकिन एसटीएफ की ताबड़तोड़ कार्रवाई में उनके अरमानों पर पानी फेर दिया है।
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