लखनऊ। आबकारी महकमे में ऑनलाइन ट्रांसफर को लेकर बवाल जारी है। चर्चा है कि शक्तिशाली वेब ग्रुप के दबाव में संजय भूसरेड्डी और कमिश्नर सेंथिल पांडियन सी ने ऑनलाइन ट्रांसफर को निरस्त कर मैनुअल ट्रांसफर किए। अपने रिटायरमेंट से पहले संजय भूसरेड्डी ने राकेश आहूजा जो मेरठ और मुरादाबाद मंडल में कंपनी यानी वेब ग्रुप के सबसे शक्तिशाली आदमी है उनकी सिफारिश पर राजेश मणि त्रिपाठी को जिन पर भ्रष्टाचार के गंभीर मामले देखते हुए अनंतिम पेंशन मंजूर किया गया है फिर भी आगरा का ज्वाइंट कमिश्नर बनाया गया। राजेश मणि के बारे में कहा जाता है कि वह कंपनी के आदमी हैं और जहां भी रहते हैं कंपनी के मोनोपोली बनाए रखने में मदद करते हैं। इतना ही नहीं कंपनी के ब्रांड में ओवर रेटिंग डेलूशन और अवैध रूप से ग्रेन से बनी देसी शराब को कंपनी द्वारा 200ml की कांच की बोतल में पैक करा कर विदेशी शराब के रूप में बिकवाने में मदद करते हैं। कहा यह भी जा रहा है कि इससे कंपनी को करोड़ों रुपए का फायदा होता है जिसका एक हिस्सा राजेश मणि त्रिपाठी को भी मिलता है। यह भी जानकारी मिली है कि जब राजेश मणि त्रिपाठी जॉइंट ईआईबी के तौर पर मुख्यालय में तैनात हुए तो मेरठ और मुरादाबाद तथा आगरा में कंपनी के वर्चस्व वाली दुकानों और गोदामों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
कंपनी की सिफारिश पर संजय भूसरेड्डी ने दागी आलोक कुमार को बनाया डिप्टी लाइसेंसिंग
संजय भूसरेड्डी जिनकी वेब ग्रुप के राकेश आहूजा के साथ याराना है और वेब ग्रुप को उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी के प्रकोप से बचाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी। कहा जा रहा है कि इस समय डिप्टी लाइसेंस के पद पर तैनात आलोक कुमार जो कंपनी का ब्लाइंड फॉलोअर है और मेरठ में जहरीली शराब कांड में कई लोगों के मरने के बाद भी सिर्फ कंपनी की सिफारिश पर संजय भूसरेड्डी ने आलोक कुमार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। इतना ही नहीं कंपनी की सिफारिश पर आलोक कुमार को डिप्टी लाइसेंस जैसा महत्वपूर्ण चार्ज दे दिया गया है। आलोक कुमार को शीरा आवंटन का भी काम दिया गया है। इसके पीछे की क्रोनोलॉजी यह है कि वेब ग्रुप के स्वामित्व वाली डिस्टलरी को आसानी से और जुगाड़ वाला शीरा बिना किसी झंझट के मिल सकता है जबकि प्रतिद्वंदी डिस्टलरी को शीरे के लिए संघर्ष करना पड़ेगा। कुल मिलाकर जाते-जाते संजय भूसरेड्डी ने कंपनी का मजबूत आदमी मुख्यालय में तैनात कर दिया है जिससे भविष्य में उसे कोई समस्या ना हो।
कंपनी समर्थक डीईओ को मिली महत्वपूर्ण तैनाती:
वेब ग्रुप के साथ गहरे ताल्लुकात के चलते संजय भूसरेड्डी ने सुशील मिश्रा को लखनऊ का जिला आबकारी अधिकारी बनाया जबकि राकेश कुमार को गाजियाबाद में जिला आबकारी अधिकारी के रूप में तैनात किया। इन्हीं इलाकों में कंपनी के सबसे ज्यादा प्रोडक्ट बिकते हैं ओवर रेटिंग होती है और डेलूशन किया जाता है। लखनऊ के वर्तमान जॉइंट एके राय को भी कंपनी की सिफारिश पर जॉइंट टास्क फोर्स बनाया गया है।
कमिश्नर ने राकेश आहूजा की सिफारिश की दर्जनों आबकारी निरीक्षकों की पोस्टिंग
कंपनी की स्वामी भक्ति में वर्तमान कमिश्नर सेंथिल पांडियन सी डी किसी से पीछे नहीं है। उन्होंने राकेश आहूजा के कहने पर एक दर्जन से ज्यादा आबकारी निरीक्षकों की तैनाती की है। कहां जा रहा है कि मुरादाबाद sector-1 में तैनात आबकारी निरीक्षक सिद्धार्थ गौतम मिश्रा जो कंपनी का वफादार बताया जाता है उसकी खराब परफॉर्मेंस के बावजूद कंपनी की सिफारिश पर बनारस में तैनाती दी गई।
जब कंपनी को लगा कि ऑनलाइन ट्रांसफर से वह अपने लोगों को महत्वपूर्ण तैनाती नहीं दिलवा सकेगी तो उसने कमिश्नर सेंट्रल पांडियन सी और संजय भूसरेड्डी को ऑनलाइन ट्रांसफर नहीं करने के लिए राजी कर लिया परिणाम स्वरूप आबकारी महकमे में जो भी 139 आबकारी निरीक्षकों की पोस्टिंग हुई है उसमें अधिकांश की सिफारिश वेब ग्रुप की ओर से हुई है।
कुल मिलाकर आबकारी निरीक्षकों और अधिकारियों की तैनाती पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
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