लखनऊ। चुनाव आयोग द्वारा 3 साल से कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों को स्थानांतरित करने के आदेश के बाद आबकारी आयुक्त सेंथिल पांडियन सी की लॉटरी लग गई। चुनाव आयोग के आदेश का पालन करने के नाम पर मलाईदार पोस्टिंग पाने वाले इंस्पेक्टर को जब अपनी कुर्सी खतरे में नजर आई तो उनके ड़र को भुनाते हुए तथा मलाईदार पोस्टिंग को बरकरार रखने के लिए या फिर मलाईदार पोस्टिंग पाने के लिए जॉइंट आबकारी लखनऊ अरविंद कुमार राय, फर्जी जॉइंट डायरेक्टर जोगिंदर सिंह एडिशनल कमिश्नर ज्ञानेश्वर तिवारी डिप्टी कार्मिक राजेंद्र कुमार और खुद कमिश्नर पांडियन सी इस समय लखनऊ स्थित आबकारी मुख्यालय में एक डमी पोर्टल बनाकर ट्रांसफर पोस्टिंग का खेल कर रहे हैं और यह खेल रात भर जारी रहेगा।
बताया जा रहा है कि इस खेल में जिला आबकारी अधिकारी लखनऊ सुशील मिश्रा जिला आबकारी अधिकारी गाजियाबाद राकेश सिंह भी शामिल हुए हैं। करोड़ों रुपए की वसूली के बाद ट्रांसफर से प्रभावित होने वाले इंस्पेक्टर के हितों को ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग की आंख में धूल झोंकने का फैसला किया गया है और डमी पोर्टल बनाकर चुनाव आयोग को फर्जी सूची भेजी जाएगी।
क्यों सवालों के घेरे में है आबकारी विभाग का ट्रांसफर पोस्टिंग
बताया जा रहा है कि चुनाव आयोग के आदेश के अनुपालन के क्रम में केवल दो तरह से ही स्थानांतरण हो सकता है या तो स्थानांतरण मेरिट के आधार पर होगा जिसमें कर्मचारियों की पोस्टिंग अवधि को देखा जाएगा या फिर परफॉर्मेंस के आधार पर ट्रांसफर किया जाएगा। इस समय परफॉर्मेंस के आधार पर ट्रांसफर की कवायत की जा रही है लेकिन यहीं पर सबसे बड़ा फर्जी वाड़ा हो रहा है। फर्जी बाड़ा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि वास्तविक मानव संपदा पोर्टल पर कई सालों से किसी भी कर्मचारी की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (ACR)और एसीपी की एंट्री नहीं हुई है इसलिए परफॉर्मेंस बेस ट्रांसफर का सवाल ही नहीं पैदा हो सकता क्योंकि यह ट्रांसफर परफॉर्मेंस बेस बात कर किया जा रहा है इसीलिए अब गंभीर सवाल खड़े हो गए हैंकि क्या एक बार फिर फर्जी मानव संपदा पोर्टल बनाकर शासन के साथ-साथ चुनाव आयोग को भी गुमराह किया जाएगा। फिलहाल फर्जी ट्रांसफर पोस्टिंग का यह खेल आज रात भर जारी रहेगा जिसको लेकर तरह-तरह की चर्चाएं चल रही है।
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