लखनऊ। नियमित वेतन और नौकरी की उम्मीद लगाए हुए लाखों होमगार्डों को योगी सरकार ने झटका देते हुए इन को नियमित वेतनमान और नौकरी देने का विरोध किया है।
प्रदेश सरकार की ओर से अपना पक्ष रखते हुए अपर स्थाई अधिवक्ता रामानंद पांडे ने कहा कि होमगार्डों की नियुक्ति वॉलिंटियर के तौर पर हुई है और इन्हें 11 महीनों के लिए नियुक्त किया जाता है अतः इन्हें नियमित वेतनमान या स्थाई नौकरी देने का सवाल ही नहीं पैदा होता।
रामानंद पांडे ने अपनी बात उस समय रखिए जब 2 सदस्यीय खंडपीठ ने प्रदेश सरकार से यह जानना चाहा कि क्या होमगार्ड सिविल सर्वेंट है या नहीं इसके जवाब में रामानंद पांडे ने उपरोक्त टिप्पणी की।
बता दें कि इससे पहले हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने होमगार्डों के मामले की सुनवाई करते हुए फैसला होमगार्डों के पक्ष में सुनाया था और उन्हें सिविल सर्वेंट माना था। इसी फैसले के खिलाफ योगी सरकार 2 सदस्य बेंच में विशेष अपील के लिए गई है।
मिली जानकारी के मुताबिक हाईकोर्ट ने इस प्रकरण पर फैसला सुरक्षित रखा है आप सभी की निगाहें हाईकोर्ट के फैसले पर टिकी हुई है।
याची धीर सिंह की तरफ से अधिवक्ता का कहना था कि होमगार्ड सिविल पद धारक हैं। उनका कहना था कि एकल जज ने भी इन्हें सिविल पद धारक माना है और एकल जज के आदेश में कोई कानूनी त्रुटि नहीं है। कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद इस मुद्दे पर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया।
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