इंपोर्ट क्वालिटी शराब की ड्यूटी जीरो कर हो रही हजारों करोड़ की टैक्स चोरी:
प्रयागराज। आबकारी विभाग इन दिनों अपने भ्रष्टाचार की वजह से सुर्खियों में है। पिछले दिनों लखनऊ में परमिट रूम लाइसेंस में हेरा फेरी पकड़ी गई थी और अब इंपोर्ट क्वालिटी की शराब में एक्साइज ड्यूटी जीरो करके करोड़ों रुपए की टैक्स चोरी की जा रही है।
पता चला है कि पिछले वर्ष और इस वर्ष भी कई फर्जी गेट पास जारी किए गए जिससे गोदाम से जो महंगी और इंपोर्ट क्वालिटी विदेशी शराब की बोतल की निकासी हुई क्या उसका क्यूआर स्कैन करने पर इंपोर्ट ड्यूटी जीरो दिखाई दे रही है यह खेल बड़े पैमाने पर हो रहा है। इस खेल का मास्टर खिलाड़ी कौन है। इसको लेकर अब तरह-तरह की चर्चा है। कहां जा रहा है कि कुछ गोदाम और जिला आबकारी अधिकारी के अलावा एडिशनल कमिश्नर लाइसेंसिंग जॉइंट कमिश्नर टास्क फोर्स जॉइंट एक्साइज कमिश्नर डिप्टी एक्साइज कमिश्नर और कमिश्नर तथा प्रिंसिपल सेक्रेटरी तक शामिल है। पूर्व प्रमुख सचिव संजय भूस रेड्डी का एक महापाप है जिसका खामियाजा आबकारी विभाग को भुगतना पड़ रहा है।
1 से 15 अप्रैल तक गेट पास जारी करने में हुई धांधली
बताया जा रहा है कि इस वर्ष 1 से 15 अप्रैल तक आबकारी विभाग का पोर्टल चलाने वाला ओएसिस एप्लीकेशन पूरी तरह निष्क्रिय हो गया था। कहा जा रहा है कि इस दौरान डिस्टलरी और गोदाम में जो गेट पास जारी किए गए उसमें ज्यादातर में गड़बड़ी पाई गई थी। सूत्रों ने दावा किया है कि अगर 1 अप्रैल से 15 अप्रैल तक के सभी गेट पास की जांच हो तो हजारों करोड रुपए का घोटाला सामने आ सकता है क्योंकि इस दौरान ओएसिस पोर्टल के जरिए इंडेंट लगाना संभव नहीं हो पा रहा था। बिना गेट पास के भी कई ट्रक शराब डिस्टलरी से गोदाम तक पहुंची और गोदाम से भी बिना बारकोड स्कैन किया लाइसेंसी की दुकानों पर पहुंची और इस दौरान बहुत से ब्रांड की बोतल का बारकोड स्कैन करना संभव नहीं हो पा रहा था। इसी खेल में इंपोर्ट क्वालिटी बीयर और अंग्रेजी शराब की एक्साइज ड्यूटी जीरो दिखाई देने लगी थी। फिलहाल इस पूरे मामले की जांच की जरूरत है।
कहानी हरिश्चंद्र श्रीवास्तव तो नहीं मास्टरमाइंड
पूर्व में आबकारी विभाग में एडिशनल लाइसेंस के रूप में तैनात रहे हरिश्चंद्र श्रीवास्तव को ही इस खेल का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। बताया जा रहा है कि हरिश्चंद्र श्रीवास्तव ही आबकारी आयुक्त के लखनऊ स्थित कैंप कार्यालय में पोर्टल पर गेट पास को मैनेज करता है। रिटायरमेंट के बाद संजय भूस रेड्डी के सिफारिश पर आबकारी विभाग में संविदा पर यह आदमी कम कर रहा है और टैक्स चोरी के जरिए आबकारी विभाग को हजारों करोड़ का चूना लगा रहा है। यह वही हरिश्चंद्र श्रीवास्तव है जिसकी एडिशनल लाइसेंस की पोस्ट पर तैनात रहते हुए टपरी स्थित कोऑपरेटिव डिस्टलरी में 2 वर्षों तक फर्जी गेट पास के जरिए लगभग 200 करोड रुपए की शराब बिना हिसाब किताब के पूरे प्रदेश में बेची गई। उसे खेल में पूर्व प्रमुख सचिव हरिश्चंद्र श्रीवास्तव वर्तमान में विशेष सचिव और उस समय एडिशनल कमिश्नर रहे दिव्य प्रकाश गिरी पूर्व कमिश्नर पांडियन जैसे दिग्गज शामिल रहे।
ट्रैक और ट्रैक सिस्टम घोटाले की क्यों नहीं हो रही जांच:
पूर्व प्रमुख सचिव संजय घोष रेड्डी का सबसे बड़ा घोटाला आबकारी विभाग में ट्रैक और ट्रैस सिस्टम के लिए ओएसिस जैसी कंपनी का चयन करना ही रहा। ओएसिस कंपनी को 500 करोड रुपए का ठेका नियमों को तक पर रख कर दिया गया था। ओएसिस कंपनी का संजय भूस रेड्डी से करीबी संबंध था जिसका फायदा उठाया। ओएसिस कंपनी को सभी इंस्पेक्टर लाइसेंसी और अधिकारियों को एक डिवाइस उपलब्ध कराना था जो बारकोड को स्कैन कर शराब के बोतल की डिटेल और डिस्टलरी तथा गोदाम के लिए बारकोड जनरेट कर सके लेकिन वह इस काम में पूरी तरह विफल रही इसके बाद इसी विभाग में एडिशनल लाइसेंस हरिश्चंद्र श्रीवास्तव ने अपने एक रिश्तेदार की कंपनी मेंटोरा को यह काम अवैध रूप से दे दिया। मेंटोरा की ओर से हजारों की संख्या में फर्जी गेट पास जारी किए गए जिसमें आबकारी विभाग को कई हजार करोड़ का राजस्व क्षति हुई। बताया जा रहा है कि मेंटोरा ने जो भी गेट पास जारी किया उसका डुप्लीकेट भी जारी किया जिसका फायदा डिक्शनरी और गोदाम ने उठाया। हजारों करोड़ की अवैध शराब बनाई गई पूरे प्रदेश और देश में बेची गई। आबकारी विभाग आज तक यह बताने में असफल रहा है कि जब आईसीएमएस पोर्टल ओएसिस कंपनी के एप्लीकेशन पर चलना था तो मेंटोरा की एंट्री कैसे हो गई। 3 सालों तक मेंटोरा और ओएसिस के दो दो गेट पास जारी किए गए जिसका फायदा डिस्टलरी और गोदाम ने खूब उठाया और मालामाल हो गए।
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