
आबकारी विभाग में हुए हालिया प्रशासनिक फैसले को महज एक तबादला नहीं, बल्कि स्पष्ट संदेश देने वाली पोस्टिंग के रूप में देखा जा रहा है। डीएन दुबे को अडिशनल लाइसेंस का चार्ज सौंपा गया है। डीएन दुबे को विभाग में साफ-सुथरी छवि, नियमों की गहरी समझ और सख्त प्रशासक के तौर पर जाना जाता है।
खास बात यह है कि डीएन दुबे आबकारी लॉ कैडर में ज्वाइंट पद से पदोन्नत होकर इस स्तर तक पहुंचे हैं। यानी वह ऐसे अधिकारी हैं जो मैदान और कानून दोनों की बारीकियों से वाकिफ हैं। यही वजह है कि अडिशनल लाइसेंस जैसे संवेदनशील और आर्थिक रूप से अहम सेक्शन की जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई है।
इस पोस्टिंग के मायने क्या हैं?
लाइसेंस प्रक्रिया में पारदर्शिता: अडिशनल लाइसेंस वह शाखा है जहां से करोड़ों के राजस्व और लाइसेंसिंग फैसले जुड़े होते हैं। यहां साफ छवि वाले अधिकारी की तैनाती भ्रष्टाचार पर सीधा प्रहार मानी जा रही है।
लॉ आधारित फैसलों पर जोर: चूंकि डीएन दुबे आबकारी कानून से निकले अधिकारी हैं, इसलिए अब निर्णय मनमानी नहीं बल्कि नियम और अधिनियम के आधार पर होने के संकेत मिल रहे हैं।
भ्रष्ट लॉबी को झटका: इस नियुक्ति से विवादित और भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे ज्वाइंट एक्साइज कमिश्नर दिलीपमणि त्रिपाठी के अरमान धराशायी हो गए। वह लंबे समय से इस चार्ज पर नजर बनाए हुए थे।
मंत्री का सख्त संदेश: सूत्रों के अनुसार, इस मामले में मंत्री ने प्रमुख सचिव और आबकारी आयुक्त की पसंद पर भी पानी फेरते हुए साफ संकेत दे दिया कि अब विभाग में छवि और ईमानदारी ही योग्यता होगी।
आगे क्या बदलेगा?
माना जा रहा है कि इस पोस्टिंग के बाद
फाइलों की गति बढ़ेगी
लाइसेंस रिन्यूअल और अडिशनल परमिशन में कमीशन कल्चर पर लगाम लगेगी
और विभाग में लंबे समय से चल रही सेटिंग-सिस्टम को बड़ा झटका लगेगा।
कुल मिलाकर, डीएन दुबे को मिला यह चार्ज आबकारी विभाग में सुधार और सख्ती की दिशा में निर्णायक कदम माना जा रहा है।




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