
धामपुर (बिजनौर)। संवाददाता
धामपुर चीनी मिल पर आयकर विभाग की लगातार 48 घंटे से जारी छापेमारी ने पूरे प्रदेश के औद्योगिक और प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मचा दिया है। विभाग की छह टीमें 29 अक्टूबर से धामपुर में डेरा डाले हुए हैं और मिल के चारों प्रमुख प्लांट — शुगर मिल, पावर प्लांट, डिस्टिलरी व केमिकल यूनिट — की गहन जांच कर रही हैं।
इस दौरान बड़ी मात्रा में दस्तावेज़, डिजिटल रिकॉर्ड और वित्तीय लेनदेन से जुड़े फाइलें कब्जे में ली गई हैं।
सूत्रों का बड़ा खुलासा — अरबों का राजस्व नुकसान
सूत्रों के अनुसार, धामपुर चीनी मिल में चीनी उत्पादन, मोलासेस (गुड़तत्त्व) और डिस्टिलरी में शराब उत्पादन के आंकड़ों में भारी हेराफेरी की गई है। बताया जा रहा है कि यह हेराफेरी कई वर्षों से व्यवस्थित तरीके से की जा रही थी, जिसके चलते सरकार को अरबों रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है।
मामले की गंभीरता इस वजह से और बढ़ जाती है कि यह सब संबंधित विभागों के संरक्षण और मौन स्वीकृति के तहत संभव हुआ।
आयकर विभाग की जांच में शुरुआती तौर पर ऐसे संकेत मिले हैं कि उत्पादन और बिक्री के वास्तविक आंकड़े जानबूझकर कम दिखाए गए, जबकि नकद लेनदेन के जरिए बड़ी मात्रा में “ब्लैक ट्रांजैक्शन” किए गए। डिस्टिलरी यूनिट में उत्पाद शुल्क की चोरी और एथनॉल उत्पादन में भी कई अनियमितताएँ सामने आई हैं।
अब कटघरे में शासन — गन्ना, चीनी और आबकारी विभागों की भूमिका संदिग्ध
इस कार्रवाई ने राज्य सरकार के गन्ना एवं चीनी विभाग और आबकारी विभाग दोनों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
धामपुर जैसी बड़ी औद्योगिक इकाई की नियमित जांच, ऑडिट और उत्पादन रिपोर्ट की निगरानी इन विभागों की जिम्मेदारी है, लेकिन अब जो तथ्य सामने आ रहे हैं, वे यही संकेत दे रहे हैं कि या तो विभागीय अधिकारी लापरवाह थे, या फिर मिलीभगत में शामिल थे।
प्रमुख सचिव (गन्ना एवं चीनी) और आबकारी आयुक्त की भूमिका अब सवालों के घेरे में है।
- क्या गन्ना विभाग ने कभी मिल की वास्तविक पेराई, चीनी उत्पादन और भंडारण का सत्यापन कराया?
- क्या आबकारी विभाग ने डिस्टिलरी और एथनॉल उत्पादन से होने वाले कर संग्रह का मिलान स्वतंत्र रूप से किया?
- क्या विभागों की मिलीभगत से मिल को वर्षों तक कर चोरी का संरक्षण मिला?
किसानों में असमंजस, उद्योग में सन्नाटा
धामपुर मिल से जुड़े हज़ारों किसानों में अब बेचैनी है। पेराई सत्र छह नवंबर से शुरू होना था, लेकिन अब जांच के चलते इसके टलने की आशंका है। किसानों को चिंता है कि यदि मिल की संपत्तियों या खातों पर आगे कार्रवाई हुई तो भुगतान रुक सकता है।
वहीं, आसपास के औद्योगिक क्षेत्र में भी यह मामला चर्चा का विषय बन गया है — क्योंकि धामपुर जैसी प्रतिष्ठित इकाई पर कार्रवाई का मतलब है कि कई अन्य मिलें भी जांच के दायरे में आ सकती हैं।
शासन के लिए बड़ी परीक्षा
राज्य सरकार के लिए यह मामला अब एक नीतिगत और प्रशासनिक परीक्षा बन गया है।
यदि अरबों रुपये के राजस्व घोटाले के आरोप साबित होते हैं, तो यह केवल एक औद्योगिक संस्था का नहीं बल्कि सरकारी नियामक व्यवस्था के चरमराने का प्रतीक होगा।
अब निगाहें मुख्यमंत्री कार्यालय पर हैं कि क्या वह इस मामले की स्वतंत्र जांच कराएगा और विभागीय अधिकारियों की जवाबदेही तय करेगा, या फिर मामला परंपरागत ‘औपचारिक जांच’ तक सीमित रह जाएगा।
(संवाद सूत्रों के अनुसार)
आयकर विभाग आने वाले दिनों में धामपुर ग्रुप के अन्य ठिकानों और सहयोगी कंपनियों में भी छापेमारी का दायरा बढ़ा सकता है। विभाग ने मिल से जुड़े बैंकिंग और टैक्स दस्तावेज़ों को खंगालना शुरू कर दिया है। सूत्र बताते हैं कि शुरुआती अनुमान के मुताबिक सरकारी राजस्व को दो से तीन अरब रुपये तक का नुकसान पहुंचाया गया है।
अब देखना यह है कि क्या राज्य सरकार अपने ही विभागों की कार्यप्रणाली की पारदर्शिता पर कठोर कदम उठाने का साहस दिखा पाती है या नहीं।




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