
लखनऊ। अगले साल 31 जुलाई को रिटायर होने जा रहे गोरखपुर के जॉइंट एक्साइज कमिश्नर शैलेंद्र कुमार राय के खिलाफ कई साल पुराने प्रकरण को फिर से खोलने की विभाग की साजिश उस समय नाकाम हो गई जब हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए आबकारी आयुक्त आदर्श सिंह को ही तलब कर लिया। कोर्ट के कड़े सवालों का फिलहाल आबकारी आयुक्त कोई जवाब नहीं दे सके।

बताया जा रहा है कि जॉइंट एक्साइज कमिश्नर गोरखपुर शैलेंद्र कुमार राय जो अगले साल रिटायर होने जा रहे हैं और जिनको एडिशनल कमिश्नर की रैंक के साथ सेवानिवृत्ति की प्रत्याशा है उन्हें प्रोन्नति रैंक से सेवानिवृत्ति होने से रोकने के लिए कार्मिक विभाग के डिप्टी कुमार प्रभात चंद और ऐसे ही अवैध कार्य के लिए आबकारी आयुक्त की नाक के बाल बने निरीक्षक प्रसेन रॉय एवं लखीमपुर खीरी गोविंद सुगर डिस्टलरी में कागज पर तैनात लेकिन वास्तव में लखनऊ में कमिश्नर के साथ रहने वाले सहायक आबकारी आयुक्त मुबारक अली द्वारा कथित रूप से साजिश रची गई। हैरानी की बात यह है कि उनका कई साल पुराना प्रकरण जो ट्रिब्यूनल से निस्तारित हो गया है उसको पुनः खोलने के लिए पहले विभाग के विधिक परामर्श दात्री गिरीश चंद्र मिश्रा से राय मांगी गई।उन्हों ने बताया कि प्रकरण माइनर है तथा ट्रिब्यूनल द्वारा निस्तारित है और हाईकोर्ट की रूलिंग के अनुसार अपील नहीं की जा सकती क्योंकि इससे सरकारी धन का अपव्यय होता है बावजूद इसके आबकारी आयुक्त ने प्रकरण को हाईकोर्ट में रखने की मंजूरी क्यों दी। इसलिए उनकी भी भूमिका सवालों के घेरे में है। एक और सवाल जो अहम है कि क्या किसी अधिकारी को प्रभारी एडिशनल एक्ससाइज कमिश्नर बनाने की तैयारी थी और किसी बड़ी डील के तहत यहां नियम विरुद्ध कार्रवाई की गई फिलहाल चाहे जो भी हो लेकिन आज आबकारी विभाग की सारी करतूत हाई कोर्ट के सामने उजागर हो गई और अपने काबिल अधिकारियों के चलते आबकारी आयुक्त आदर्श सिंह को कड़ी फटकार सुननी पड़ी। सूत्रों ने दावा किया है कि नियम विरुद्ध हाई कोर्ट के लिए प्रकरण तैयार करने वाले आबकारी विभाग के संबंधित निरीक्षक प्रसेन रॉय , सहायक आबकारी आयुक्त मुबारक अली , डिप्टी आबकारी आयुक्त कार्मिक कुमार प्रभात ,तथा स्वयं अपील की अनुमति देने वाले आबकारी आयुक्त डॉक्टर आदर्श सिंह इस प्रकरण में बुरी तरह फंसे हुए हैं। माना जा रहा है कि अगली पेशी पर विभाग के कई बड़े अधिकारियों तथा कर्मचारी पर गाज गिर सकती है।
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