अवधभूमि

हिंदी न्यूज़, हिंदी समाचार

शासन के पीछे छुप रहे संजय भूस रेड्डी:

असल भूमि घोटाले के मास्टरमाइंड का एक और कारनामा:

लखनऊ। असल की API घोटाले के तार  UPRERA अध्यक्ष संजय भूस रेड्डी से जुड़ते दिखाई दे रहे हैं। असल को उसे समय आवंटियों  के साथ धोखाधड़ी करने का मौका मिल गया जब संजय भूसा रेड्डी की अध्यक्षता वाली उत्तर प्रदेश रेरा ने असल को विवादित प्रोजेक्ट में प्लाट बेचने की अनुमति दे दी और इसका फायदा उठाते हुए असल ने अनरजिस्टर्ड प्रोजेक्ट के बीच 650 प्लांट  बेच लिए लगभग 650 करोड रुपए लेकर असल फरार हो गए और खरीददार फस गए। सांप तौर पर इस खेल में उत्तर प्रदेश रेरा प्रमुख की भूमिका है लेकिन अब वह शासन की आड़ में छुपाने लगे हैं।

एक अखबार को दिए इंटरव्यू में उत्तर प्रदेश रेरा प्रमुख संजय भूसा रेड्डी जिनकी इस घोटाले में बड़ी भूमिका बताई जा रही है वह सफाई देते हुए कहते हैं कि

हम एक न्यायिक प्राधिकरण हैं हम आरोप प्रत्यारोपों का जवाब नहीं देंगे। हमसे सवाल जवाब केवल शासन ही कर सकता है।

संजय भूसा रेड्डी की अध्यक्षता में 3 साल लटका कर रखी गई हजारों शिकायतें:

30 जनवरी 2021 को इस पर फैसला हुआ, लेकिन आदेश जारी करने में करीब पांच महीने लग गए। इस दरम्यान डिवेलपर ने अपार्टमेंट का ढांचा तैयार कर कई फ्लैटों की बुकिंग भी कर दी। इसके बाद पीड़ित आवंटियों ने मार्च 2021 में रेरा ट्रिब्यूनल में अपील की। इसका फैसला 29 जनवरी 2025 को आया। ट्रिब्यूनल ने ले आउट का मामला रेरा के अधिकार से बाहर होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया। अपील करने वाले अंसल आरडब्लूए के अध्यक्ष एमएल साहू का सवाल है कि अगर लेआउट का मामला रेरा के अधिकार क्षेत्र से बाहर है तो चार साल तक इसे लंबित क्यों रखा। एलडीए की ओर से करवाई गई एफआईआर के मुताबिक रेरा में सिर्फ अंसल से जुड़े 2268 मामले लंबित हैं।

अंसल प्रॉपर्टीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के खिलाफ एफआईआर के लिए दी गई तहरीर में एलडीए के साथ रेरा और जिला प्रशासन की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। शासन ने 6465 एकड़ में विकसित होने वाली टाउनशिप की निगरानी एलडीए को सौंपी थी, लेकिन अफसर महकमे के पास बंधक 411 एकड़ जमीन भी न बचा सके। डिवेलपर ने ग्राम समाज और सीलिंग की जमीनें प्लॉटिंग कर बेच दी, लेकिन जिला प्रशासन यह धोखाधड़ी नहीं रोक पाया। वहीं, 2200 से ज्यादा आवंटियों की शिकायत पर भी यूपी रेरा डिवेलपर की मनमानी पर लगाम नहीं लगा पाया।

शिकायतों का डंपिंग यार्ड बना रेरा

आवंटियों को त्वरित न्याय देने के लिए गठित यूपी रेरा शिकायतों का डंपिंग ग्राउंड बन गया है। आलम यह है कि शिकायतों पर आठ-आठ साल तक सुनवाई नहीं हो पा रही। यूपी रेरा की इस कार्यशैली के भुक्तभोगी अंसल की सुशांत गोल्फ सिटी के आवंटी भी हैं। एलडीए से पास करवाए गए ले आउट में जहां स्टेडियम दिखाकर प्लॉट बेचे गए थे, वहां गुपचुप तरीके से अपार्टमेंट बनाया जाने लगा। आवंटियों ने 11 दिसंबर 2017 को रेरा में शिकायत की।

About Author