अवधभूमि

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आबकारी विभाग में संविदा पर लौटे दो पूर्व अधिकारियों के कारनामे चर्चा में:

लखनऊ। आबकारी विभाग मे विभाग के ही दो सेवा निवृत अधिकारी जो सलाहकार के रूप में जेम पोर्टल से रखे गए हैं उनके कारनामे इस समय चर्चा में है। मिली जानकारी के मुताबिक पूर्व जॉइंट एक्साइज कमिश्नर जीसी मिश्रा जिन्हें जेम पोर्टल के जरिए विधिक सलाहकार के रूप में आबकारी विभाग में ठेके पर रखा गया है उनके कारनामों की जमकर चर्चा हो रही है। बताया जा रहा है कि कमिश्नर द्वारा जो भी पत्रावली उनके पास विधिक परामर्श के लिए भेजी जाती है उसमें जमकर उगाही की जाती है। यह भी चर्चा है कि कोई उनसे मिलना चाहता है तो वह खाली हाथ नहीं जा सकता उसे महंगे फल और मिठाइयां लेकर ही उनके कमरे में प्रवेश करना चाहिए ऐसी चर्चा विभाग में है।

आबकारी आयुक्त की भूमिका भी सवालों के घेरे में:

आबकारी आयुक्त की इस मामले में भूमिका सवालों के घेरे में बताई जा रही है। कारण यह है कि शासन ने  अभी हाल ही में नियमित विधिक परामर्श दात्री की नियुक्ति कर दी है फिर भी कमिश्नर विधिक  परामर्श के लिए पत्रावली नियमित रूप से नियुक्त विधि परामर्श दात्री अभिषेक श्रीवास्तव के पास ना भेज कर ठेके पर रखे गए  जीसी मिश्रा से  विधिक परामर्श लिया जा रहा है। कहा तो यह भी जा रहा है कि जब भी कमिश्नर किसी पत्रावली पर जीसी मिश्रा से   विधिक परामर्श लेते हैं तो जीसी मिश्रा कथित रूप से  संबंधित व्यक्ति या संस्था से संपर्क करते हैं उसे अपने ऑफिस में बुलाते हैं पत्रावली दिखाते हैं और मोलभाव करते हैं। कंपनी के पक्ष में परामर्श देने के लिए सौदेबाजी करते हैं। यह सब बेहद गंभीर आरोप है जिसकी जांच के बाद ही पुष्टि की जा सकती है लेकिन जीसी मिश्रा द्वारा जो भी विधिक राय दी गई है एक बार उसकी समीक्षा होनी चाहिए और यह देखना चाहिए कि उन्होंने विभाग के हित में राय दी है या कंपनियों के हित में। साथ ही साथ इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि जब नियमित रूप से विधिक परामर्श के लिए अभिषेक श्रीवास्तव की नियुक्ति हो चुकी है तो उनके पास पत्रावली क्यों नहीं जा रही। क्या इसके पीछे कंपनियों का खेल है क्या जीसी मिश्रा कंपनियों के लिए काम करते हैं। क्या कमिश्नर कंपनियों को राहत देने के लिए जीसी मिश्रा के पास फाइलें भेज रहे हैं। यह सब जांच का विषय है। सबसे बड़ी बात यह है कि जब नियमित रूप से विधिक परामर्श दात्री की नियुक्ति है तो फिर जीसी मिश्रा को यहां क्यों रखा गया है। एक और गंभीर सवाल है खड़ा हो रहा है वह यह  कि आम चर्चा है कि विभाग में एडिशनल कमिश्नर लाइसेंस के रूप में सेवानिवृत हो चुके हरिश्चंद्र श्रीवास्तव कौन सी सलाह कमिश्नर को देते हैं जबकि इनका कार्यकाल विवादों में रहा है और इन्होंने फर्जी पोर्टल चला कर विभाग को हजारों करोड़ का चूना लगाया था। सुनने में आया है की जीसी मिश्रा और हरिश्चंद्र श्रीवास्तव को मोमो के जरिए भुगतान किया जा रहा है जबकि इस तरह से भुगतान विभाग अपने नियमित अधिकारियों और कर्मचारियों को करता है फिर नियमों और कानून के धज्जियां उडाकर इन दोनों लोगों को मेंमो के जरिए भुगतान क्यों किया जा रहा है। इस मामले की सच्चाई की भी जांच होनी चाहिए। फिलहाल ठेके पर रखे गए दोनों कर्मचारियों के कारनामे इस समय विभाग में चर्चा का विषय बने हुए हैं।

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