
नई दिल्ली। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने एक बार फिर धार्मिक ग्रंथों को लेकर बयान जारी किया है जिसके बाद राजनीति गर्म हो गई है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि भारत के पास पारंपरिक ज्ञान का विशाल भंडार है। कुछ स्वार्थी लोगों ने प्राचीन ग्रंथों में जानबूझ कर गलत तथ्य जोड़े हैं, जबकि कुछ ग्रंथ गुम हो गए हैं। उन्होंने कहा कि जो चीजें पहले छूट गई थीं, उन्हें नई शिक्षा नीति के तहत तैयार किए गए सिलेबस में जोड़ा गया है।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के इस बयान को एक बार फिर ब्राह्मणों से भी जोड़कर देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि मूल धार्मिक ग्रंथों में ब्राह्मणों ने ही संशोधन किए हैं जिसकी वजह से भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई है। मोहन भागवत के इस ताजा बयान से खामोश बैठे स्वामी प्रसाद मौर्या फिर सक्रिय हो गए हैं।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने से अपनी वैचारिक जीत बताते हुए कहा है कि अब वह पाखंडी कहां है जो रामचरितमानस की कुछ पंक्तियों की समीक्षा पर नाक कान काटने का फतवा जारी कर रहे थे।
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