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ऋषि-मुनियों में श्राप देने की हैसियत नहीं बची है इसीलिए पाखंडी जीभ और गर्दन काटने की बात कर रहे हैं: स्वामी प्रसाद मौर्य

लखनऊ। स्वामी प्रसाद के बोल फिर बिगड़े हैं। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा है कि पाखंडी साधु संतों में शराब देने की कोई ताकत नहीं बची है अब वह आतंकियों की तरह जीव और गर्दन काटने की बात कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर इनकी साधना और तप में इतनी ही शक्ति है तो अपने विरोधियों को श्राप देकर भस्म क्यों नहीं कर देते।

स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि पहले के साधु-संतों का अपने इष्ट और आराध्य पर भरोसा था पहली बात तो वह नाराज नहीं होते थे और अगर नाराज होते थे तो शाप देकर सबक सिखाते थे लेकिन आजकल के पाखंडी साधु संतों के पास जब तप नही है इसीलिए वह कसाई की तरह जीभ काटने गर्दन काटने नाक काटने और कान काटने के बाद कह रहे हैं। इनमें और आतंकियों में कोई फर्क नहीं है अगर इसी तरह इनका रवैया रहा तो लोग इनकी भक्ति नहीं करेंगे और ना ही चढ़ावा देंगे।

रामचरितमानस को लेकर विवादों में हैं स्वामी प्रसाद मौर्य

स्वामी प्रसाद मौर्य उस समय सुर्खियों में आए जब उन्होंने रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों को लेकर आपत्ति जाहिर की और इसे मानव से हटाने की मांग की। उनकी मांग से नाराज कई संगठनों ने उनकी आलोचना की और हनुमानगढ़ी के पीठाधीश्वर संत राजू दास ने उनकी जीभ काटने तक की बात कही है।

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