नई दिल्ली। इजराइल स्थित हिंडनबर्ग जोकि फर्जी अकाउंट और शेयरों में हेरा फेरी जैसे गंभीर अपराधों की पड़ताल करती है उसने गौतम अडानी की 300 से अधिक कंपनियों के शेयर को वास्तविक मूल्य से कई गुना अधिक बताए जाने का खुलासा किया है जिसके बाद देश की अर्थव्यवस्था में भूचाल आ गया है। अडानी की कंपनियों के शेयर लगातार गिर रहे हैं। लगातार दो दिनों में अब तक अडानी की कंपनियों के शेयर में 1 हजार से अधिक अंकों की गिरावट दर्ज की गई है।
अमेरिकी रिसर्च फर्म Hindenburg की रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में गिरावट नहीं थम रही है. बुधवार से भी बड़ी गिरावट आज यानी शुक्रवार को देखने को मिल रही है. अडानी ग्रुप (Adani Group) के सभी शेयरों में बेचने की होड़ मच गई है. अडानी ग्रुप के शेयरों में बिकवाली से शेयर बाजार में भी दबाव हावी होता जा रहा है.
आज बाजार खुलते ही अडानी ग्रीन एनर्जी के शेयरों में 16 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई. शेयर लुढ़क कर 52 वीक लो 1564 रुपये तक पहुंच गया. वहीं, अडानी टोटल गैस में 16 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है.
वहीं आज से adani enterprises का FPO ओपन हो गया है. लेकिन इससे पहले शेयर 6 फीसदी से ज्यादा गिरकर FPO प्राइस के करीब पहुंच गया. वहीं, अडानी पावर, अडानी विल्मर में तो 5-5 फीसदी का लोअर सर्किट लग गया है. जबकि अडानी पोर्ट में करीब 5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.
दरअसल, इससे पहले बुधवार को फॉरेंसिक फाइनेशियल रिसर्च फर्म Hindenburg की रिपोर्ट की वजह से गौतम अडानी को 50 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था, और आज उससे भी बड़ा नुकसान की आशंका है.
फर्म ने दागे हैं 88 सवाल
हिंडनबर्ग रिसर्च की लेटेस्ट रिपोर्ट में अडानी ग्रुप से 88 सवाल किए गए हैं. इसी रिपोर्ट से भारतीय निवेशकों का सेटीमेंट बदल गया. हालांकि अडानी ग्रुप की ओर से भी अमेरिकी रिसर्च फर्म Hindenburg को तगड़ा जवाब दिया गया है. रिपोर्ट को अडानी समूह ने बकवास करार दिया है. अडानी ग्रुप ने इस पूरी रिपोर्ट को खारिज किया है और इसे दुर्भावना से ग्रसित बताया है.
अडानी समूह के CFO जुगेशिंदर सिंह ने कहा, ‘हम हैरान हैं कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने हमसे संपर्क करने या तथ्यात्मक मैट्रिक्स को सत्यापित करने का कोई प्रयास किए बिना 24 जनवरी 2023 को एक रिपोर्ट प्रकाशित की है. रिपोर्ट चुनिंदा गलत सूचनाओं और बासी, निराधार और बदनाम आरोपों का एक दुर्भावनापूर्ण संयोजन है जिसे भारत के उच्चतम न्यायालयों द्वारा परीक्षण और खारिज कर दिया गया है.’ इसके अलावा अडानी ग्रुप अमेरिकी फर्म के खिलाफ कानूनी कार्रवाई पर भी विचार कर रहा है.
दिवालिया हो सकते हैं एसबीआई और बैंक ऑफ बड़ौदा जैसे बैंक
क्योंकि अडानी की कंपनियों ने ज्यादातर परियोजनाओं के लिए भारत के सरकारी बैंकों से कई हजार करोड़ रुपए के लोन लिए हैं ऐसे में यदि लोन की राशि अडानी की कंपनियों के सेल कंपनियों में यानी फर्जी कंपनियों में लगाए गए हैं तो यह पैसा डूबना तय है। गंभीर बात यह है कि अडानी की कंपनियों ने अपनी जिन सेल कंपनियों में निवेश किया है उनमें से पचासी फ़ीसदी कंपनियां मॉरीशस और कैरीबियन देशों के पते पर हैं लेकिन जब हिन्डन बर्ग ने सभी कंपनियों की 2 साल तक लगातार निगरानी और पड़ताल की तो पता चला कि इन कंपनियों का ना तो कोई कर्मचारी है और ना कोई रनिंग वेबसाइट है और ना ही जमीन पर कोई प्रोजेक्ट है जबकि इन्हीं कंपनियों कि लाखों करोड़ की बैलेंस शीट पर अडानी की कंपनियों का शेयर राकेट बना हुआ है। हिंडोन बर्ग के खुलासे के बाद अडानी की कंपनियों में निवेश करने वाले शेयर धारक पहने हुए हैं।
अडानी की कानूनी कार्रवाई की धमकी, हिंडोन बर्ग ने कहा रिपोर्ट सही कानूनी चुनौतियों का सामना करने को तैयार
हिंडोन बर्ग के आरोपों का जवाब देने के बजाय अदानी की कंपनी ने इसे मनगढ़ंत और बदनाम करने की साजिश बताया तथा कानूनी कार्रवाई की धमकी दी लेकिन अदानी कंपनी की धमकी से बेपरवाह हिंडोन बर्ग ने कहां है कि उसकी रिपोर्ट एकदम सही है और वह किसी भी कानूनी कार्रवाई का सामना करने को तैयार है। hindenberg के इस बयान के बाद अडानी की कंपनियों के शेयर काफी तेजी से नीचे आए हैं। यदि किसी कारण से अडानी की कंपनियों के फर्जी शेयर साबित हो जाते हैं तो यह भूतपूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव के कार्यकाल में हुए हर्षद मेहता के शेयर घोटाले के मुकाबले बहुत बड़ा घोटाला होगा और इसकी चोट पहले से ही कई बड़ी चुनौतियों का सामना कर रही देश की अर्थव्यवस्था के लिए मारक हो सकती है
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