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नजरिया: अडानी का मुद्दा बवासीर जैसा, ना कहा जाए ना सहा जाए:

नई दिल्ली। मर्ज बढ़ता गया ज्यों-ज्यों दवा की। भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अदानी का मुद्दा गले का फ़ांस बनता जा रहा है। कर्नाटक में गांव गली शहर और कस्बे में कांग्रेस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अडानी के रिश्ते को मुद्दा बनाने में सफल रही है। यही कारण है कि कर्नाटक में प्रधानमंत्री के नाम पर भाजपा के लिए वोट मांगना बेहद मुश्किल हो गया है जबकि 40% की सरकार के रूप में कर्नाटक की भाजपा सरकार पहले ही जनता की नजरों में गिर चुकी है।

अदानी मुद्दे पर छुट्टी जहां भाजपा को नुकसान पहुंचा रही है वही इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री की खामोशी से जहां उनकी खुद की छवि खराब हो गई है वही भाजपा की मुश्किलें काफी बढ़ गई है।

राहुल गांधी के अदानी वाले तीर से घायल हो रही है भाजपा लाचार हुए प्रधानमंत्री मोदी

कर्नाटक के मुश्किल चुनाव में भाजपा को न केवल सत्ता विरोधी प्रचंड लहर का सामना है बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी लोगों की प्रतिक्रिया सकारात्मक नहीं है। राहुल गांधी ने जब से यह पूछना शुरू किया है अदानी के कंपनी में 20 हजार करोड़ रुपए किसके हैं ना केवल भाजपा बैकफुट पर चली गई है बल्कि प्रधानमंत्री को भी इसका कोई जवाब नहीं सूझ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मामले में चुप्पी साध रखे हैं। उनका कुछ ना बोलना भी भाजपा के लिए नुकसानदेह साबित हो रहा है और बोलने के लिए सफाई देने के लिए उनके पास कुछ है ही नहीं इसी कारण कर्नाटक में अडानी के मुद्दे पर भाजपा कुछ कह भी नहीं पा रही है और कांग्रेस के सियासी तीरों की मार सह भी नहीं पा रही है।

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