लखनऊ। प्रवर्तन निदेशालय ने सोचा भी नहीं था कि जिस अतीक अहमद का साम्राज्य तहस-नहस करने के लिए अभियान पर है वह साम्राज्य वास्तव में भाजपा के कई नेताओं मंत्रियों नौकरशाहों व्यापारियों और यहां तक कि कुछ जजों की काली कमाई से खड़ा हुआ है। प्रवर्तन निदेशालय ने मीडिया को सीज की गई प्रॉपर्टी या संपत्ति के बारे में कोई ब्रीफिंग नहीं दे रही है। जैसे ही प्रवर्तन निदेशालय ने अतीक के गुमनाम संपत्तियों का देवरा खंगालना शुरू किया उसके होश उड़ गए इन कंपनियों में ज्यादातर सत्तारूढ़ दल के नेताओं नौकरशाहों और कुछ बड़े माननीय न्यायमूर्ति के भी पैसे लगे हैं।
जब प्रवर्तन निदेशालय ने संजीव अग्रवाल के ठिकानों पर छापेमारी की तो लोगों को लगा कि इससे अतीक अहमद का साम्राज्य तबाह हो जाएगा लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी उससे प्रवर्तन निदेशालय के ही होश उड़ गए क्योंकि संजीव अग्रवाल के कंपनियों में पैसे लगाने वाले ज्यादातर लोग सत्तारूढ़ दल के नेता अधिकारी और कुछ न्यायमूर्ति जुड़े हुए हैं। प्रवर्तन निदेशालय जो अपने काम को प्रतिदिन मीडिया ब्रीफिंग करती है और शाम को चैनलों पर बहस होती है उसने इस पूरे मामले में अचानक खामोशी अख्तियार कर ली और मीडिया से दूरी बना ली। संजीव अग्रवाल के मकान और कारोबारी ठिकानों से जो दस्तावेज मिले हैं वह खुद भाजपा के गले की फांस बन सकता है।
कहा तो यहां तक जा रहा है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रवर्तन निदेशालय पूरे प्रकरण को ठंडे बस्ते में डालने की तैयारी कर रही है।
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