प्रतापगढ़। कुछ लोग अपने जन्म से महान होते हैं, कुछ अपने कार्य एवं उपलब्धियों से महानता अर्जित करते हैं । इसी में से संतो,मनीषियो और विद्वानों के बेल्हा की इस धरती पर महान समाजवादी चिंतक डॉ राम मनोहर लोहिया के प्रिय शिष्य हिंदी के प्रबल पक्षधर रहे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित कृपाशंकर ओझा ने भी जन्म लिया था। जिन्होंने आजादी के आंदोलन में अपनी अहम भूमिका का निर्वहन करते हुए कई बार जेल तक गये। सन् 1962 के अंग्रेजी हटाओ आंदोलन में ओझा ने कोलकाता से पंजाब जाने वाली ट्रेन जिस पर इंग्लिश में लिखा रहता था उसमें कालिख पोत कर विरोध दर्ज कराते हुए जेल गए। इतना ही नहीं सन् 1975 में श्री ओझा के नेतृत्व में डीएम रहे सईदुल्ला की बीबी को सरकारी गाड़ी पर चढ़ने से रोक कर विरोध जताते हुए कहा कि यह गाड़ी सरकारी है और सरकारी पेट्रोल खर्च होता है। जनता का पैसा है इसका दुरुपयोग नही होने दिया जाएगा। सन् 25 जून 1975 को आपातकाल लगा लोगों की गिरफ्तारियां होने लगी इस दौरान भी ओझा जी को जेल जाना पड़ा था। स्मृति शेष पंडित कृपा शंकर ओझा ऐसे ही मनीषियों में थे, जिन्होंने अपने जीवन काल में अपने सेवा कार्यों व आंदोलन से अपार सम्मान प्राप्त किया और परिनिर्वाण के पश्चात यश कीर्ति तथा अमृत्व प्राप्त किया। 7 मार्च 2023 की रात 10 बजे 95 वर्ष की आयु में ओझा जी का निधन हो गया। श्री ओझा आज हम सबके बीच नहीं,किंतु उनकी स्मृतियां अमर है । वह हमेशा अपने कार्यों में उल्लेखनीय उपलब्धियों से संसार में प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे । उन्होंने महामानव के रूप में जीवन जिया और धर्म से कभी विरत नहीं हुए स्वर्गीय पंडित कृपा शंकर ओझा को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनकी वार्षिकी पर पूरा समाज उनके पद चिन्हों पर चलने के लिए संकल्पबद्ध है।
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