अभियोजन की मंजूरी के बिना नहीं दर्ज हो सकेगी एफआईआर
पुलिस के हस्तक्षेप को माना जाएगा कंटेंप्ट का कोर्ट
प्रयागराज। उच्च न्यायालय इलाहाबाद में एक महत्वपूर्ण फैसले में उत्तर प्रदेश पुलिस के अधिकारों में कटौती करते हुए राजस्व और सिविल मामले में सीधे एफआईआर करने से रोक दिया है और कहा है की आवश्यकता पड़ने पर बिना अभियोजन की मंजूरी के अब कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं होगी। इस आदेश को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है हाई कोर्ट को लगातार शिकायत मिल रही थी कि पुलिस हस्तक्षेप की वजह से बहुत से लोगों को फर्जी मुकदमे में फसाया गया।
क्या कहा इलाहाबाद हाईकोर्ट ने:
“ बिना अभियोजन की राय के 420/406/408/467/468/471 के मामलों में जहाँ सिविल /कॉमर्शियल या एग्रीमेंट जैसे विवाद है वहाँ बिना विधिक अभिमत लिए FIR नहीं होगी।
अगर FIR होती है तो अभियोजन (prosecutors) की राय का भी ज़िक्र होगा उस तहरीर में ।
अगर 1 मई 2024 के बाद ऐसी FIR बिना prosecution की क़ानूनी सलाह लिए बिना दर्ज होती है तो ये कंटेम्प् ऑफ कोर्ट माना जाएगा
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